PGIM India Mutual Fund के हेड ऑफ इक्विटी अनिरुद्ध नाहा ने मनीकंट्रोल से बाजार की आगे की दशा और दिशा पर लंबी बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने कहा कि इनवर्स यील्ड कर्व से पक्का संकेत मिलता है कि अमेरिका में अगले साल मंदी आ सकती है। उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि 10- ईयर और 2 -ईयर यील्ड के बीच बना निगेटिव स्प्रेड इस बात का साफ संकेत है कि अगले साल अमेरिका में मंदी आ सकती है।
कमोडिटी की कीमतों में भारी करेक्शन इस बात का भी संकेत है कि मांग में कमजोरी आ रही है। कंपनियों के कमाई के नजरिए से अगली कुछ तिमाहियों में अनिश्चितता बने रहने की संभावना है। इसके अलावा हमें बाजार में किसी बड़ी रैली की भी संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसे में सेंट्रल बैंकों को यह तय करना होगा कि वह महंगाई से लड़ाई को ज्यादा वरीयता देंगे या फिर ग्रोथ को।
बाजार की चाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय हमें बाजार पर ध्यान ना देकर कंपनियों पर फोकस करना चाहिए। पिछले कुछ तिमाहियों के नजरिए से देखें तो कंपनियों के प्रदर्शन को लेकर दिशा साफ नजर नहीं आ रही है। एक तरफ तो सभी सेक्टरों की मांग में तेजी दिख रही है लेकिन दूसरी तरफ कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उत्पादन लागत में भी बढ़त नजर आ रही है जिससे कंपनियों के मार्जिन पर दबाव की संभावना है।
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि कुछ ही दिनों पहले कमोडिटी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। जिसके कारण कंपनियों के मार्जिन पर दबाव आया था लेकिन अब एकाएक कच्चे माल की कीमतों में भारी गिरावट भी देखने को मिल रही है। जिसके चलते कंपनियों के सामने इन्वेंट्री पर हुए घाटे में चुनौती खड़ी हो गई है। ऐसे में अगले कुछ तिमाहियों तक कंपनियों के प्रदर्शन काफी अनिश्चित रहने की संभावना है। जिसको देखते हुए बाजार में कोई बड़ी रैली की उम्मीद नहीं है।
आईटी सेक्टर पर बात करते हुए अनिरुद्ध नाहा ने कहा कि हाल में आए भारी करेक्शन के बाद आईटी कंपनियों के शेयरों का भाव पहले की तुलना में थोड़ा सस्ता हुआ है लेकिन अमेरिका और यूरोप जैसे आईटी कंपनियों के बड़े बाजार में मंदी का डर इस सेक्टर के लिए शॉर्ट टर्म में बड़ी चुनौती बन गया है। लेकिन लॉन्ग टर्म के नजरिए से देखें तो आईटी सेक्टर एक बेहतर दांव है।
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