अमेरिका में अभी तक सिर्फ एक आंकड़ा है जो बिगड़ता नजर नहीं आया है। वो है रोजगार का आंकड़ा। अगर अमेरिका में बेरोजगारी की दर भी बढ़ती नजर आती है तो फिर अभी तक सिर्फ विचारों में घूम रही मंदी हकीकत बनती नजर आने लगेगी। ऐसा होने पर बाजार में और गिरावट देखने को मिलेगी। Ambit Asset Management के सीईओ सुशांत भंसाली ने ये बातें मनीकंट्रोल से हुई बातचीत में कहीं।
ऑटो सेक्टर पर बात करते हुए सुशांत भनसाली ने कहा कि चिप शॉर्टेज की समस्या सुलझती नजर आ रही है। जिससे कंपनियों के उत्पादन और नए लॉन्च को लेकर अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। इस समय ऑटो कंपनियों के फंडामेंटल्स काफी अच्छे दिख रहे हैं। वर्तमान में इस सेक्टर के लिए खराब बातों की तुलना में अच्छी बातें ज्यादा नजर आ रही हैं।
क्या बाजार में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है? इस सवाल का जवाब देते हुए सुशांत भनसाली ने कहा कि पिछले 6 महीनों की तुलना में वोलैटिलिटी कम हुई है। लेकिन अगर अमेरिका में बेरोजगारी की दर भी बढ़ती नजर आती है तो फिर अभी तक सिर्फ विचारों में घूम रही मंदी हकीकत बनती नजर आने लगेगी। ऐसा होने पर बाजार में और गिरावट देखने को मिलेगी। भारतीय बाजार 18.5 गुने पर अपने लंबी अवधि के औसत से नीचे दिख रहे हैं। जिसको देखते हुए वैल्यूएशन के नजरिए से बाजार अच्छा दिख रहा है।
बाजार में घरेलू फंडों की तरफ से काफी पैसा आता नजर आ रहा है। ऐसे में लिक्विडिटी से जुड़ा जोखिम ज्यादा नहीं नजर आ रहा है। हालांकि पिछले एक साल का मार्केट रिटर्न बहुत मामूली रहा है। इसी में अगर FPI की बिकवाली जारी रहती है तो अगले कुछ हफ्तों में ये निगेटिव होते नजर आ सकते हैं। इसके चलते घरेलू बाजार में घरेलू फंडों की तरफ से आने वाला पैसे का प्रवाह धीमा पड़ सकता है। इससे इक्विटी बाजार में लिक्विडिटी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न भी आकर्षक हो रहा है। इसका असर इक्विटी बाजार पर देखने को मिलेगा। हालांकि बाजार पर इसका बहुत बड़े पैमाने पर असर दिखने की संभावना नहीं है लेकिन छोटे-मझोले शेयरों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
लेकिन ध्यान रखने की बात है कि चीन में सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें कम हुई हैं। कच्चे तेल और दूसरी कमोडिटी की कीमतों में भी नरमी आई है। ऐसे में अगर जियोपोलिटकल मोर्चे से कोई अच्छी खबर आती है तो FPI का रुख पॉजिटिव हो सकता है।
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