COVID-युग के बाद ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी और इसके कारण ग्लोबल इकोनॉमी के धीमे पड़ने की आशंका के कारण भारतीय आईटी स्पेस दलाल स्ट्रीट पर भारी दबाव के दौर से गुजर रहा है। महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संयोजन दुनिया भर के बाजारों के लिए बहुत ही घातक बन कर उभरा है। यहां तक की डॉलर के मुकाबले रुपए के ऑलटाइम लो पर पहुंचने के बावजूद निफ्टी आईटी की गिरावट पर कोई रोक नहीं लगी है। बता दें कि डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी को आईटी इंडस्ट्री के लिए अच्छा माना जाता क्योंकि इससे विदेशों में डॉलर में होने वाली उनकी आय की रूपए में वैल्यू बढ़ जाती है।
इस समय आईटी इंडेक्स सेंसेक्स-निफ्टी की तुलना में कमजोर प्रदर्शन करते नजर आ रहा है। आईटी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव की संभावना के चलते कंपनियों के मैनेजमेंट के अच्छे गाइडेंस के बावजूद आईटी सेक्टर की चमक फीकी नजर आ रही है। कोविड -19 के दौरान मजबूत डिमांड के बावजूद आईटी कंपनियों को कर्मचारियों के वेतन पर बढ़ते खर्च के दबाव से गुजरना पड़ रहा है। गौरतलब है कि आईटी सेक्टर में इस समय जबरदस्त टेलैंट हंट देखने को मिल रहा है जिसके कारण कंपनियों को अपने कर्मचारियों को रोके रखने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसका असर उनकी मार्जिन पर देखने को मिल रहा है।
भारतीय आईटी कंपनियों की आगे की दशा और दिशा पर बात करते हुए मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने CNBCTV18.com ने कहा कि आईटी सेक्टर पर वे सर्तक रहने की सलाह देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम अभी यह नहीं कह सकते कि आईटी सेक्टर का बॉटम बन चुका है। अभी सेक्टर में और गिरावट मुमकिन है।
उन्होंने आगे कहा कि निवेशकों को आईटी सेक्टर में निवेश के लिए इंतजार करना चाहिए। आरबीआई और फेडरल रिजर्व द्वारा होने वाली ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर नजर रखनी चाहिए। निवेशकों को इस बात पर भी नजर रखनी चाहिए कि यूएस फेड अपने बैलेंसशीट को सामान्य स्तर पर लाने के लिए क्या कदम उठाता है।
आईटी सेक्टर पर व्यापक अनुभव रखने वाले अजय बग्गा का यह बयान उस समय आया है जब ब्रोकरेज हाउस वैल्यूएशन महंगे होने का हवाला देते हुए आईटी शेयरों की डाउनग्रेडिंग कर रहे हैं।
जेपी मॉर्गन ने हाल ही में कहा है कि भारत के आईटी स्टॉक पूरी दुनिया के सर्विस स्पेस में इस समय सबसे ज्यादा महंगे नजर आ रहे हैं। आईटी सेक्टर में जनवरी-मार्च 2022 से ग्रोथ हल्की पड़नी शुरु हुई है और मार्च 2023 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में स्थितियां और खराब हो सकती हैं।
जापानी ब्रोकरेज हाउस नोमुरा ने भी महंगे वैल्यूएशन का हवाला देते हुए TCS, Wipro, HCL Tech, L&T Infotech और Persistent की रेटिंग घटा दी है। उसकी Buy लिस्ट में सिर्फ Infosys और Tech Mahindra शामिल हैं। नोमुरा का कहना है कि वह मिडकैप की तुलना में लॉर्ज कैप कंपनियों को ज्यादा वरीयता देता है।
Teji Mandi के राज व्यास ने CNBCTV18.com से बात करते हुए कहा है कि इस समय अमेरिका के मंदी में जाने की बात की जा रही है जिससे टेक्नोलॉजी पर होने वाले खर्च पर निगेटिव असर पड़ सकता है। इसका खामियाजा भारतीय आईटी कंपनी को भुगतना पड़ सकता है। आईटी इंडस्ट्रीज पर इन खराब मैक्रो संकेतों की वजह से दबाव बना है। उन्होंने आगे कहा कि बाजार अगले 12-18 महीनों की स्थिति का अनुमान लगा रहा है, बाजार को इस बात का डर है कि मार्जिन के मोर्चे पर उम्मीदें बहुत अधिक हैं।
फिर भी, राज व्यास का मानना है कि जब तक भारतीय आईटी कंपनियों के लिए मांग मजबूत है, निवेशकों को चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि इन शेयरों में फिर बाउंस बैक देखने को मिलेगा।
आईटी स्पेस में विश्वास कायम रखने वालों में राज व्यास अकेले नहीं हैं जो ग्रोथ पर वैल्यू को वरीयता दे रहे हैं। UTI Mutual Fund के अजय त्यागी का कहना है कि डी-रेटिंग की वजह से भारतीय आईटी कंपनियों का वैल्यूएशन अच्छा हो गया है। उनकी राय है कि आईटी सर्विसेज स्पेस में इस समय वैल्यू उभरकर आ रही है। भारतीय आईटी कंपनियों को इससे पहले भी कई मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा है और वे मुश्किलों से उबरकर फिर से चमकी हैं। आगे भी हमको ऐसा ही देखने को मिल सकता है।
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