भारतीय बाजार दूसरे बाजारों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करेंगे। बाजार मंदी, महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मौद्रिक नीतियों की सख्ती की संभावनाओं को काफी हद तक पचा चुका है। लेकिन ग्रोथ और अर्निंग अनुमानों में कटौती का असर अभी तक बाजार पर नहीं दिखा है। जिसके चलते बाजार अगली तिमाहियों में काफी वौलेटाइल रह सकता है। ये बातें Avendus Capital के वैभव सांघवी ने मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में कही हैं।
महंगाई और ग्लोबल मंदी की संभावना से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए वैभव सांघवी ने कहा कि यूएस फेड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ ही इस बात के संकेत दिए हैं कि पॉलिसी रेट से जुड़ा उसका अगला एक्शन आने वाले तमाम अहम आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि ग्लोबल कमोडिटीज की प्राइस में अपने हाई से 25-30 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हाई इनवेंट्री और कमजोर होते कंज्यूमर कॉन्फिडेंस को देखते हुए लगता है कि अगली तिमाही से महंगाई कम होनी शुरू हो जाएगी। मंदी को लेकर तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं लेकिन मेरा यह मानना है कि ग्लोबल मार्केट पर राहत उपायों में कटौती कहीं ज्यादा बड़ा असर दिखाएगी।
क्या अब तक आए नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहली तिमाही के नतीजे हमारे अनुमान के मुताबिक रहे हैं। हालांकि मार्जिन पर बना दबाव सेंटीमेंट पर निगेटिव असर दिखाता नजर आया है। आगे हमें कंपनियों के कमाई के अनुमान में कटौती होती नजर आ सकती है। फिर भी हम कह सकते हैं कि भारत ने दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है और आगे भी तुलानात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करेगा।
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि अच्छे मानसून और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और बैंकिंग सिस्टम में अच्छी ग्रोथ को देखते हुए भारतीय बाजार और इकोनॉमी में अच्छी रिकवरी की संभावना नजर आ रही है। ऐसे में हमें घरेलू इकोनॉमी पर आधारित थीम में निवेश करना चाहिए। आगे हमें इनमें अच्छा फायदा होता नजर आएगा।
भारत में विदेशी निवेशकों की वापसी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए वैभव सांघवी ने कहा कि एक बार ग्लोबल महंगाई के ठंडे पड़ने के बाद देश में एक बार फिर से FPIs की तरफ से होने वाले निवेश में तेजी आती दिखेगी। उन्होंने ये भी कहा कि अब ऐसा जल्द ही देखने को मिलेगा।
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