डॉलर इंडेक्स में लगातार 5वें सेशन में गिरावट देखने को मिली है। एनालिस्ट का अनुमान है कि यूएस फेड अपनी ब्याज दरों में बहुत आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा। जिसके चलते डॉलर इंडेक्स में नरमी आई है
भारतीय बाजारोंमें आज 1 फीसदी से ज्यादा की तेजी आती नजर आई। इस तेजी में एक बड़ा योगदान तेल और गैस कंपनियों का है। सरकार ने गैसोलिन एक्सपोर्ट पर लगाए गए लेवी को वापस ले लिया है। जबकि दूसरे ईंधनों पर लगाए गए विंडफॉल टैक्स में कटौती की है। इस खबर के बाद आज बाजार में जोरदार तेजी आती दिखी है।
फिलहाल 11.35 के आसपास सेंसेक्स 761.12 अंक यानी 1.39 फीसदी की बढ़त के साथ 55,528.74 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 222.15 अंक यानी 1.36 फीसदी की बढ़त के साथ 16,562.70 के स्तर पर नजर आ रहा था।
आज लगातार चौथे दिन बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। इस महीने अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 5 फीसदी की तेजी दिखी है। लेवी हटाए जाने से Reliance Industries और Oil and Natural Gas Corporation जैसे कच्चे तेल के उत्पादकों और एक्सपोर्टरों को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने विडफॉल टैक्स लगाए जाने के तीन हफ्ते से भी कम अवधि में इसमें कटौती की है। यह बाजार के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर रही है।
गौरतलब है कि सरकार ने 1 जुलाई को एनर्जी कंपनियों को इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल में आए उछाल से हो रहे अप्रत्याशित फायदे को देखते हुए उन पर विंडफॉल टैक्स लगाया था लेकिन पिछले 3 हफ्ते के दौरान कच्चे तेल के ग्लोबल प्राइस में भारी गिरावट हुई है जिससे तेल उत्पादकों और रिफाइनरीज दोनों के प्रॉफिट मार्जिन में भारी गिरावट देखने को मिली है ।
इसके अलावा ग्लोबल इक्विटी बाजारों में आई तेजी और डॉलर में गिरावट ने भी बाजार के सेटिमेंट को सुधारा है। अमेरिका बाजारों में कल हमें 3 फीसदी का उछाल देखने को मिला था । वहीं FTSE100, CAC 40 and DAX जैसे उभरते बाजारों में भी 1-3 फीसदी की तेजी आती नजर आई है। एशियन बाजार भी मजबूती के साथ कारोबार कर रहे हैं। Nikkei में करीब 2.5 फीसदी और Hang Seng में 1.4 फीसदी की बढ़त दखने को मिल रही है।
आइए उन कारणों पर नजर डालें तो बाजार की इस तेजी को दे रहे हैं सपोर्ट
विंडफॉल टैक्स में मिली राहत
सरकार ने गैसोलीन एक्सपोर्ट पर लगाई गई लेवी को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा तीन सप्ताह से भी कम समय में दूसरे ईंधनों पर लगाए गए विंडफाल टैक्स में भी कटौती की है। यह कदम देश की बड़ी ईंधन एक्सपोर्टर रिलायंस इंडस्ट्रीज और टॉप क्रूड एक्सप्लोरर ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। सरकारी अधिसूचना के मुताबिक केंद्र ने डीजल और एविएशन फ्यूल (विमानन ईंधन) शिपमेंट पर लागू विंडफाल टैक्स में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की है और गैसोलीन निर्यात पर 6 रुपये प्रति लीटर लेवी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लागू टैक्स में लगभग 27 फीसदी की कटौती करके इसके 17000 रुपये प्रति टन कर दिया।
कमोडिटी की कीमतों में नरमी
कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट से बाजार खुश नजर आ रहा है। क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसल गया है। ग्रामीण इकोनॉमी के सुधरते सेटीमेंट से बाजार में जोश आया है। जिसके चलते छोटे-मझोले शेयर भी तेजी में नजर आ रहे हैं। Reliance Securities के मितुल शाह का कहना है कि हाल में कच्चे तेल सहित तमाम तरह की कमोडिटी कीमतों में गिरावट आती नजर आई है। ग्रामीण बाजार का सेंटिमेंट अच्छे मानसून के बाद सुधरा है। जिससे निवेशकों का सेंटिमेंट पॉजिटिव हुआ है। हाल के दिनों में आई गिरावट के बाद शेयरों के वैल्यूएशन काफी अच्छे नजर आ रहे हैं। इसका असर भी बाजार पर दिखा है।
आरबीआई पॉलिसी
मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि आरबीआई अब तक की गई तेज बढ़ोतरी के बाद अब ब्याज दर में धीमी दर से बढ़ोतरी करेगा। मनीकंट्रोल से बात करते हुए एक एनालिस्ट ने कहा कि उम्मीद है कि 4 अगस्त की समीक्षा बैठक में आरबीआई अपनी अहम ब्याज दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी करके इसको 5.15 फीसदी कर सकता है और दिसंबर तक आरबीआई अपनी दर को बढ़ाकर 5.75 फीसदी कर सकता है।
मानसून
मानसून की प्रगति अब तक उम्मीद से बेहतर रही है। जुलाई के शुरुआती 2 हफ्तों में मानसून अपने सामान्य स्तर से 40 फीसदी से ज्यादा रहा है। एनालिस्ट का मानना है कि आने वाले हफ्ते में बुआई की गतिविधियां जोर पकड़ती नजर आएंगी। एनालिस्ट का यह भी मानना है कि ग्लोबल मंदी के डर के चलते कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट, मानसून में सुधार के साथ ही सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट की वजह से भारत की खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी से नीचे जा सकती है।
डॉलर इंडेक्स में लगातार 5वें सेशन में गिरावट देखने को मिली है। एनालिस्ट का अनुमान है कि यूएस फेड अपनी ब्याज दरों में बहुत आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा। जिसके चलते डॉलर इंडेक्स में नरमी आई है। अमेरिका में महंगाई की दर अपने 41 साल के शिखर पर पहुंच गई थी उसके बाद एनालिस्ट का मानना था कि यूएस फेड ब्याज दरों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। किंतु अब अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि यह बढ़ोतरी 1 फीसदी ना होकर 0.75 फीसदी हो सकती है। इसके अलावा निवेशक ECB की बैठक के पहले थोड़ा सर्तक नजर आ रहे हैं। वहीं यूएस फेड की अगली बैठक 26-27 जुलाई को है।
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