क्रिस वुड ने कहा कि भारत में म्यूचुअल फंड की तरफ से मजबूत निवेश देखने को मिला है। इससे घरेलू इक्विटी बाजार को अच्छा सपोर्ट मिला है। अगर बाजार को म्यूचुअल फंड का सपोर्ट नहीं मिलता तो इस साल हुई विदेशी निवेशकों बिकवाली के चलते भारतीय बाजार 20-30 फीसदी तक टूट जाते
जेफरीज में इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट ग्लोबल हेड और ग्रीड एंड फियर रिपोर्ट के लेखक क्रिस्टोफर वुड का कहना है कि दूसरे एशियाई बाजारों की तुलना में भारतीय बाजारों का तुलनात्मक रूप से कमजोर प्रदर्शन घरेलू कंपनियों के महंगे वैल्यूएशन के कारण हुआ है। इसके चलते बाजार में एक 'हेल्दी कंसोलीडेशन' हुआ है जो 2025 के बाकी समय में भी जारी रह सकता है।
म्यूचुअल फंड की तरफ से मजबूत निवेश ने बाजार को दिया सहारा
क्रिस वुड ने आगे कहा कि भारत में म्यूचुअल फंड की तरफ से मजबूत निवेश देखने को मिला है। इससे घरेलू इक्विटी बाजार को अच्छा सपोर्ट मिला है। अगर बाजार को म्यूचुअल फंड का सपोर्ट नहीं मिलता तो इस साल हुई विदेशी निवेशकों बिकवाली के चलते भारतीय बाजार 20-30 फीसदी तक टूट जाते।
16 सितंबर को सीएनबीसी-टीवी18 से हुई बातचीत के दौरान क्रिस वुड ने कहा कि भारत पर थोपे गए ट्रंप टैरिफ के किसी भी समाधान से बाजार में तेजी आ सकती है,लेकिन बाजार के लिए इससे भी अहम फैक्टर अगले साल भारत के नॉमिनल जीडीपी में ग्रोथ का कोई संकेत होगा।
अगले साल बाजार में देखने को मिलेगी तेजी
क्रिस वुड ने आगे कहा कि केंद्रीय बजट में आयकर में की गई कटौती, ब्याज दरों में कमी और जीएसटी रिफार्म से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और अगले साल बाजार में तेजी देखने को मिलेगी। हाल के वर्षों में भारत के नॉमिनल जीडीपी में लगभग 10-12 फीसदी की दर से बढ़त हुई है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के दौरान इसमें 8.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिली जो उम्मीद के ज्यादा है।
अगस्त लगातार 25वां ऐसा महीना रहा है जिसमें घरेलू संस्थागत निवेशक नेट बॉयर रहे हैं। वित्त वर्ष 2026 के पहले पांच महीनों में इनकी तरफ से 37.6 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश हुआ है। इसके विपरीत, विदेशी संस्थागत निवेशक इस वित्त वर्ष में अब तक 1.5 अरब डॉलर के शेयरों के नेट सेलर रहे हैं। जुलाई और अगस्त में इनकी तरफ से 6 अरब डॉलर की बिकवाली हुई। इस बिकवाली ने पिछले तीन महीनों के सारे निवेश को पूरी तरह से साफ कर दिया है।
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