IIFL Name in Hindenburg Report: भारत को लेकर अमेरिकी शॉर्टसेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में कई खुलासे किए गए हैं। इस रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, उनके पति धवल बुच और अदाणी ग्रुप के लोगों के अलावा जिस अहम नाम का जिक्र है वह है IIFL यानि इंडिया इनफोलाइन। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि माधबी और धवल बुच के पास उन दो विदेशी कोषों यानि ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी है, जिनका इस्तेमाल करके अदाणी समूह में कथित रूप से पैसों की हेराफेरी की गई।
इन ऑफशोर फंड्स को कथित तौर पर IIFL Wealth & Asset Management (वर्तमान नाम 360 ONE WAM) मैनेज कर रही थी। हिंडनबर्ग का कहना है कि बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। ये वही कोष हैं, जिनका कथित तौर पर गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था।
जर्मनी के सबसे बड़े स्कैंडल से जुड़ा है IIFL का नाम
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि IIFL का ऐसे फंड स्ट्रक्चर स्थापित करने का इतिहास रहा है। अतीत में इसका नाम जर्मनी के सबसे बड़े फ्रॉड केस 'वायरकार्ड स्कैंडल' के साथ जुड़ा रहा है। वायरकार्ड स्कैंडल भ्रष्ट बिजनेस प्रैक्टिसेज और धोखाधड़ीपूर्ण वित्तीय रिपोर्टिंग की एक सीरीज थी, जिसके कारण जर्मनी की पेमेंट प्रोसेसर और फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर वायरकार्ड दिवालिया हो गई। हिंडनबर्ग के मुताबिक, ब्रिटेन की अदालतों में एक मुकदमे के अनुसार IIFL वेल्थ पर आरोप है कि उसने मॉरीशस फंड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके वायरकार्ड से जुड़े अधिग्रहण सौदे में धोखाधड़ी की।
RBI और सेबी के साथ भी हो चुका है टकराव
IIFL एक डायवर्सिफाइड फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी है। इसका कारोबार ब्रोकिंग, निवेश बैंकिंग, एनबीएफसी और वेल्थ मैनेजमेंट सहित अन्य क्षेत्रों में फैला हुआ है। यह पहली बार नहीं है कि IIFL पर गवर्नेंस लेवल्स से संबंधित आरोप लगे हैं। IIFL का भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय मार्केट रेगुलेटर सेबी सहित इंडियन रेगुलेटर्स के साथ टकराव का इतिहास रहा है। हाल ही में RBI और सेबी दोनों ने बैंकिंग और कैपिटल मार्केट रेगुलेटर की ओर से स्थापित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के उल्लंघन के लिए IIFL को फटकार लगाई थी।
मार्च में RBI ने IIFL Finance पर लगाए थे प्रतिबंध
मार्च 2024 में, RBI ने IIFL Finance को कंपनी के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में सुपरवायजरी चिंताओं का उल्लेख करते हुए तत्काल प्रभाव से गोल्ड लोन मंजूर करने या डिस्बर्स करने से रोक दिया था। IIFL Finance के मामले में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि कंपनी की 31 मार्च, 2023 तक की वित्तीय स्थिति को लेकर RBI ने कंपनी का इंस्पेक्शन किया था। कंपनी के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में कुछ मैटेरियल सुपरवायजरी चिंताएं सामने आई थीं। जैसे कि लोन की मंजूरी के समय और लोन डिफॉल्ट पर नीलामी के समय सोने की शुद्धता और शुद्ध वजन की जांच और सर्टिफिकेशन में भारी चूक, लोन टू वैल्यू रेशियो (LTV) में उल्लंघन, कैश में वैधानिक सीमा से कहीं अधिक अमाउंट में लोन डिस्बर्सल और कलेक्शन आदि। इसके अलावा, RBI के इंस्पेक्शन में मानक नीलामी प्रक्रिया का पालन न किए जाने और ग्राहक खातों पर लगाए जाने वाले शुल्क आदि में पारदर्शिता की कमी का पता चला। मार्च में ही RBI ने कहा कि वह IIFL Finance का विशेष ऑडिट शुरू करेगा।
इस बीच कंपनी सेबी के रडार में तब आई, जब IIFL Securities को अन्य बातों के अलावा क्लाइंट और स्वयं के फंड को अलग न करने और क्लाइंट फंड में क्रेडिट बैलेंस के गलत इस्तेमाल के लिए फटकार लगाई गई थी। जून 2023 में, सेबी ने ब्रोकिंग फर्म को दो साल की अवधि के लिए किसी भी नए क्लाइंट को जोड़ने से रोक दिया था। हालांकि, ब्रोकिंग फर्म को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्राइब्यूनल (SAT) में आदेश को चुनौती देकर कुछ राहत मिली क्योंकि SAT ने सेबी के आदेश को खारिज कर दिया।