भारतीय कंपनियों का मार्केट कैप नौ महीनों में पहली बार 3 लाख करोड़ डॉलर से नीचे, अब आगे क्या है रुझान?

केंद्रीय बैंकों का फोकस अभी भी महंगाई से निपटने में है। ऐसे में केंद्रीय बैंको ने दरों में बढ़ोतरी पर अभी लगाम नहीं लगाया है। दरों में बढ़ोतरी के आगे भी आसार दिख रहे हैं, जबकि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट गहरा रहा है। इसका दुनिया भर के मार्केट पर निगेटिव असर पड़ा। इसके अलावा भारत में भी कुछ स्थानीय फैक्टर्स हैं।

अपडेटेड Mar 27, 2023 पर 4:37 PM
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इस साल सेंसेक्स 5.45 फीसदी और निफ्टी 6.41 फीसदी फिसल चुका है। बीएसई मिडकैप भी 6.64 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 7.47 फीसदी टूट चुका है।

शेयर मार्केट में उथल-पुथल से कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है। नौ महीने में पहली बार पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर यानी 3 लाख करोड़ डॉलर (247 लाख करोड़ रुपये) से नीचे फिसल गई है। अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग सेक्टर पर दबाव के चलते मार्केट में बिकवाली का दबाव बढ़ा है। जर्मनी के दायचे बैंक (Deutsche Bank) ने बैंकिंग सेक्टर की चिंता और बढ़ा दी है। भारतीय मार्केट में लिस्टेड कंपनी की बाजार पूंजी फिलहाल 2.99 लाख करोड़ डॉलर (246.22 लाख करोड़ रुपये) पर है। इस लेवल पर पहले यह 23 जून 2022 को था।

इस साल मार्केट कैप में करीब 30 हजार करोड़ डॉलर (24.70 लाख करोड़ रुपये) की गिरावट आई है और भारतीय मार्केट दुनिया भर में छठे स्थान पर है। बाकी देशों की बात करें तो 41.83 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ अमेरिका टॉप पर है। इसके बाद 10.67 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ चीन, 5.59 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ जापान, 5.35 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ हॉन्ग कॉन्ग और 3.05 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप के साथ फ्रांस का नंबर है।

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मार्केट में क्यों आई गिरावट

पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक बार फिर ब्याज दरें बढ़ा दी। केंद्रीय बैंकों का फोकस अभी भी महंगाई से निपटने में है और ऐसे में दरों में बढ़ोतरी पर अभी लगाम नहीं लगाई गई है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने 0.50 फीसदी, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 0.25 फीसदी, फेडरल बैंक ने 0.25 फीसदी, स्विस नेशनल बैंक ने 0.50 फीसदी ब्याज दर बढ़ा दिया है। दरों में बढ़ोतरी के आगे भी आसार दिख रहे हैं, जबकि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट गहरा रहा है। इसका दुनिया भर के मार्केट पर निगेटिव असर पड़ा। ब्रोकरेज फर्म Emkay Research के मुताबिक अभी अनिश्चितता हाई लेवल पर बनी रहेगी और मौद्रिक नीतियों की सख्ती का आर्थिक गतिविधियों पर असर दिखेगा।

वहीं भारत में भी ऑप्शंस की बिक्री पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को बढ़ाए जाने का फैसला मार्केट के लिए झटका साबित हुआ। बेमौसम बारिश के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका ने पहले ही बाजार पर दबाव बनाया हुआ था और अब एसटीटी बढ़ाने जाने का फैसले ने मार्केट पर निगेटिव असर डाला। इसके अलावा अल नीनो की संभावना के चलते भी कमाई में गिरावट के आसार हैं। आईटी सेक्टर में सुस्ती के चलते छंटनी हो रही है। इन सब वजहों से मार्केट को झटके लगे हैं।

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भारत में इस साल कैसी रही बाजार की चाल और अब आगे क्या है रुझान

इस साल सेंसेक्स 5.45 फीसदी और निफ्टी 6.41 फीसदी फिसल चुका है। बीएसई मिडकैप भी 6.64 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 7.47 फीसदी टूट चुका है। विदेशी निवेशक ने खरीदारी से अधिक बिक्री की है और उन्होंने 334 करोड़ डॉलर से अधिक शेयरों की बिक्री की है। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 75305 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की। घरेलू ब्रोकरेज फर्म जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक बाजार में उतार-चढ़ाव अभी शॉर्ट टर्म में बना रहेगा क्योंकि वैश्विक बैंकिंग सिस्टम को अभी संकट से उबरने में थोड़ा समय लगेगा और आईटी शेयरों में भी अभी सुस्ती छाई हुई है।

जेफरीज के ग्लोबल इक्विटी स्ट्रैटजी हेड क्रिस्टोफर वुड के मुताबिक पिछले साल मौद्रिक सख्ती के चलते कई बार अमेरिकी शेयरों में गिरावट का रुझान दिखा और इस साल 2023 में कमाई में गिरावट हो सकती है, अगर मंदी आती है तो। इसके अलावा अगले साल प्राइवेट सेक्टर में क्रेडिट का इश्यू दिख सकता है जो मार्केट को झटका देगा। क्रिस्टोफर के मुताबिक चीन के मुकाबले भारत में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश का मौका अधिक शानदार है क्योंकि यहां माहौल बहुत कॉम्पिलिकेटेड नहीं है। इस वजह से जेफरीज ने जापान के बाहर एशिया में जो लॉन्ग टर्म निवेश किया है, उसका 39 फीसदी भारत में है। इसके मुकाबले चीन में 25 फीसदी ही है।

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