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इंडियन मार्केट्स का रिटर्न 2025 में डबल डिजिट में रहेगा, इन सेक्टर्स में निवेश से हो सकती है तगड़ी कमाई

बेक्सली एडवाइजर्स के उत्कर्ष सिन्हा का कहना है कि कई वजहों से आज इंडियन मार्केट की स्थिति दूसरे मार्केट्स से बेहतर है। इंडिया में इकोनॉमिक और पॉलिटिकल स्टैबिलिटी है। सरकार का फोकस ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बना हुआ है। सरकार कैपिटल मार्केट्स में रिफॉर्म्स कर रही है

अपडेटेड Mar 15, 2025 पर 11:09 AM
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उत्कर्ष सिन्हा ने कहा कि अमेरिका में टैरिफ की वजह से उथलपुथल मची हुई है। उधर, यूरोप में अलग-अलग देशों की इकोनॉमी पॉलिसी के चलते कनफ्यूजन की स्थिति है।

इंडियन मार्केट्स का रिटर्न इस साल (2025) डबल डिजिट में रह सकता है। हालांकि, स्टॉक मार्केट में उतारचढ़ाव जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक स्थितियां बदल रही हैं। बेक्सली एडवाइजर्स के उत्कर्ष सिन्हा ने यह अनुमान जताया है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट के बारे में कई अहम बातें बताईं। उनका मानना है कि फाइनेंशियल सर्विसेज, रिन्यूएबल्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स की अर्निंग्स ग्रोथ बेहतर रह सकती है। सरकार ने पूंजीगत खर्च पर फोकस बढ़ाया है। इसका फायदा इन सेक्टर्स को मिलेगा।

इंडिया में दूसरे इलाकों के मुकाबले ज्यादा स्टैबिलिटी

सिन्हा ने कहा कि ग्लोबल कैपिटल को स्टैबिलिटी की तलाश है। अमेरिका और यूरोप में बढ़ रही दिक्कत के बीच इंडिया (Indian Markets) ग्लोबल इनवेस्टर्स की पसंद हो सकता है। इंडिया में दूसरे इलाकों के मुकाबले ज्यादा स्टैबिलिटी है। हालांकि, पॉलिसी में बदलाव के असर से कोई इकोनॉमी बच नहीं सकती। लेकिन, इकोनॉमिक डायरेक्शन, रेगुलेटरी क्लैरिटी और प्रो-इनवेस्टमेंट के मामले में इंडिया में स्टैबिलिटी देखने को मिली है। इससे यह लंबी अवधि के लिहाज से अट्रैक्टिव डेस्टिनेशन है।


कैपिटल मार्केट्स में रिफॉर्म्स पर सरकार का फोकस

उन्होंने कहा कि अमेरिका में टैरिफ की वजह से उथलपुथल मची हुई है। उधर, यूरोप में अलग-अलग देशों की इकोनॉमी पॉलिसी के चलते कनफ्यूजन की स्थिति है। इधर, इंडिया में सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस बनाए रखा है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी पैसा खर्च हो रहा है। कैपिटल मार्केट्स में रिफॉर्म्स ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। ये ऐसी स्थितियां हैं, जो इंडिया को किसी दूसरे मार्केट से अलग करती हैं।

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स्टॉक मार्केट्स में बढ़ा रिटेल इनवेस्टर्स का भरोसा

क्या हालिया गिरावट से रिटेल इनवेस्टर्स स्टॉक में निवेश करना बंद कर देंगे? इस सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि पहले कभी इंडिया में रिटेल इनवेस्टर्स की इतनी दिलचस्पी देखने को नहीं मिली थी। इंडिया में निवेश के पैटर्न में बदलाव दिखा है। परिवारों की बचत का पैसा अब शेयरों में जा रहा है। SIP से हर माह 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश हो रहा है। डीमैट अकाउंट्स की संख्या 13 करोड़ से ज्यादा हो गई है, जो इस बात का संकेत है कि रिटेल इनवेस्टर्स स्टॉक मार्केट्स को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।

मिडकैप-स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन घटी है

क्या यह स्मॉलकैप-मिडकैप स्टॉक्स से दूर रहने का समय है? इसके जवाब में सिन्हा ने कहा कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स का बुरा दौर बीत चुका है। हालांकि, कुछ पॉकेट्स में अब भी वैल्यूएशन ज्यादा है। लेकिन, 2024 के आखिर से जारी पिटाई की वजह से मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन घटी है। इससे संस्थागत निवेशक फिर से बुनियादी रूप से मजबूत मिडकैप स्टॉक्स खासकर इंडिस्ट्रियल्स, फाइनेंशियल्स और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश करने लगे है। इन स्टॉक्स में आगे अच्छी ग्रोथ की संभावना है।

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