डिफेंस स्टॉक्स में रैली इजरायल-ईरान वॉर का नतीजा या कुछ और है वजह? क्या मानते हैं एक्सपर्ट और क्या करें निवेशक
17 जून को निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में लिस्टेड शेयरों में गिरावट और तेजी का मिलाजुला रुख है। पिछले 4 कारोबारी सत्रों में, कई प्रमुख रक्षा कंपनियों ने मजबूत गेन दर्ज किया। लोग पूरे डिफेंस सेक्टर में हलचल की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत में यह सिलेक्टिव है
डिफेंस स्टॉक्स की हाई वैल्यूएशन एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
भले ही इजरायल-ईरान संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव और भारतीय शेयर बाजारों में तेजी की टाइमिंग एक है, लेकिन डिफेंस सेक्टर में रैली, शॉर्ट टर्म वाले वॉर सेंटिमेंट से ज्यादा लॉन्ग टर्म वाली संरचनात्मक अनुकूल परिस्थितियों से प्रेरित है। एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि भले ही हाल ही में डिफेंस स्टॉक्स में तेजी आई है लेकिन यह कोई ब्रॉड बेस्ड मूव नहीं है। निवेशकों को हाई वैल्यूएशन को लेकर बरकरार चिंताओं के बीच फंडामेंटल्स पर फोकस करना चाहिए।
17 जून को निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में लिस्टेड शेयरों में गिरावट और तेजी का मिलाजुला रुख है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियरिंग, पारस डिफेंस, BEML Limited, डेटा पैटर्न्स समेत कुछ शेयरों में तेजी है। वहीं दूसरी ओर मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, जेन टेक्नोलोजिज, एचएएल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड समेत कुछ शेयर लाल निशान में हैं।
पिछले 4 कारोबारी सत्रों में, कई प्रमुख रक्षा कंपनियों ने मजबूत गेन दर्ज किया। 13 जून से सबसे अधिक हासिल करने वालों में यूनिमेक एयरोस्पेस एंड मैन्युफैक्चरिंग (5.39 प्रतिशत), डायनामैटिक टेक्नोलोजिज (6.15 प्रतिशत), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (2.25 प्रतिशत) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (2.44 प्रतिशत) शामिल हैं। हालांकि, सभी डिफेंस स्टॉक्स के साथ ऐसा नहीं है। एस्ट्रा माइक्रोवेव प्रोडक्ट्स लिमिटेड, साइएंट डीएलएम लिमिटेड, डीसीएक्स सिस्टम्स लिमिटेड, मिश्र धातु निगम लिमिटेड, एमटीएआर टेक्नोलोजिज लिमिटेड, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और जेन टेक्नोलोजिज लिमिटेड में मामूली गिरावट या केवल मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया।
सिलेक्टिव है डिफेंस सेक्टर की तेजी
एलारा सिक्योरिटीज के हर्षित कपाड़िया का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि ऐसा कोई सीधा संबंध है, जिसके माध्यम से भारत इजरायल-ईरान युद्ध से फायदा उठा सकता है। बाजार में हाल की तेजी इस संघर्ष के कारण है, ऐसा उचित नहीं लगता। इस रैली को अगर बाजार उस दृष्टिकोण से देख रहा है, तो यह शायद स्थिति को गलत तरीके से पढ़ रहा है।"
फिसडम में रिसर्च हेड नीरव करकेरा भी ऐसा ही मानते हैं। उनके मुताबिक, "यह संरचनात्मक अनुकूल परिस्थितियों का हिस्सा है और किसी खास घटना से पैदा हुआ विकास नहीं है। बेशक, इजरायल-ईरान की जंग और मार्केट में रैली की टाइमिंग एक है, लेकिन दोनों के बीच कोई वास्तविक संबंध नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "लोग पूरे डिफेंस सेक्टर में हलचल की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत में यह सिलेक्टिव है। ऐसे डिफेंस स्टॉक्स, जिनका वेटेज ज्यादा है, वे बढ़ रहे हैं। डिफेंस सेक्टर में बाजार की तेजी अन्य सेक्टोरल इंडेक्स की तुलना में कम है।"
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और हेड- प्रोडक्ट एंड रिसर्च, चेतन शेनॉय ने कहा कि हालिया रैली कई फैक्टर्स के चलते है, जिनमें रक्षा आधुनिकीकरण पर सरकारी खर्च में वृद्धि, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी अनुकूल नीतिगत पहल और भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि शामिल हैं। इन्होंने सामूहिक रूप से इस सेक्टर में सेंटिमेंट को बूस्ट किया है। यह सेक्टर भू-राजनीतिक तनाव, रक्षा सौदे या नीतिगत घोषणाओं जैसी मैक्रो घटनाओं को लेकर भी बेहद संवेदनशील है। उन्होंने कहा, "वर्तमान जैसी तेज रैलियां पहले भी देखी गई हैं। अक्सर सेंटिमेंट नॉर्मल होने पर कंसोलिडेशन या करेक्शन का पीरियड आता है।"
प्रभुदास लीलाधर में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट अमित अनवानी के मुताबिक, "ऑपरेशन सिंदूर के बाद डिफेंस शेयरों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव देखने को मिला। कुछ शेयर हाल के निचले स्तरों से 40-50 प्रतिशत तक चढ़ गए हैं। और 4-5 महीनों के बाद हमने रक्षा मंत्रालय की ओर से एकमुश्त ऑर्डर भी क्लियर होते देखे।"
हाई वैल्यूएशन एक प्रमुख चुनौती
डिफेंस स्टॉक्स की हाई वैल्यूएशन एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। अनवानी का कहना है कि भले ही बुनियादी बातें बरकरार हैं, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर कुछ चिंताएं हैं। वहीं करकेरा आशावादी हैं। उनका कहना है कि लॉन्ग टर्म के हिसाब से वैल्यूएशन बहुत ज्यादा लगती है, लेकिन उभरते ग्रोथ आउटलुक के मामले में वे सही उचित होती हैं।
कपाड़िया ने निवेशकों को सिलेक्टिव बाइंग की सलाह दी है, खास तौर पर बीईएल जैसी मजबूत IP वाली कंपनियों में। वहीं कोर एलोकेशन के लिए बड़ी पीएसयू को चुनने की सलाह है। करकेरा का मानना है कि मौजूदा स्थिति में मैनेज्ड स्ट्रेटेजीज बेहतर हो सकती हैं। खुदरा निवेशकों के लिए, खुद से स्टॉक्स में निवेश करने की बजाय ईटीएफ और म्युचुअल फंड्स अधिक प्रभावी हैं। शेनॉय ने सुझाव दिया कि निवेशकों को ब्रॉड बेस्ड इक्विटी फंड्स के जरिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। जब रैली ब्रॉड-बेस्ड नहीं होती है, तो डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण होता है।
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