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Indigo Crisis: इंडिगो मामले में बढ़ सकती है सरकार की सख्ती, बोर्ड के पुनर्गठन तक जा सकता है मामला

Indigo Crisis: इंडिगो एयरलाइन मामले में सरकार का रुख और सख्त हो सकता है। मनीकंट्रोल को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार इंडिगो की पैरेंट कंपनी, इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड के बोर्ड के पुनर्गठन की मांग कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि सरकार का दखल को सिर्फ अस्थायी राहत और मैनेजमेंट को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस तक ही नहीं रहने वाला है

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड Dec 08, 2025 पर 1:57 PM
Indigo Crisis: इंडिगो मामले में बढ़ सकती है सरकार की सख्ती, बोर्ड के पुनर्गठन तक जा सकता है मामला
Indigo Crisis: इंडिगो का बोर्ड फिलहाल विक्रम सिंह मेहता की अध्यक्षता में काम करता है

Indigo Crisis: इंडिगो एयरलाइन मामले में सरकार का रुख और सख्त हो सकता है। मनीकंट्रोल को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार इंडिगो की पैरेंट कंपनी, इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड के बोर्ड के पुनर्गठन की मांग कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि सरकार का दखल को सिर्फ अस्थायी राहत और मैनेजमेंट को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस तक ही नहीं रहने वाला है और यह मामला कंपनी के बोर्ड के पुनर्गठन तक जा सकता है।

सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब पिछले एक सप्ताह में इंडिगो की 3,200 से अधिक उड़ानें रद्द होने से हजारों यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स पर फंस गए। सोशल मीडिया पर कंपनी के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है और एयरलाइन की गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

सरकार क्यों कर रही है बोर्ड पुनर्गठन पर विचार?

इस मामले से वाकिफ उच्चस्तरीय सूत्रों ने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इंडिगो के बोर्ड में ऐसे लोग हों जिन्हें एविएशन सेक्टर का गहरा तकनीकी और ऑपरेशनल अनुभव हो। इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है, जिसके पास करीब 65 प्रतिशत मार्केट शेयर है। इसके चलते इंडिगो नेटवर्क पर देश के एविएशन इंडस्ट्री की काफी निर्भरता हो जाती है।

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