Investent Ideas :अगर आप सोच रहे है कि कहां निवेश करना है, सोना-चांदी या फिर इक्विट में तो देश के तीन दिग्गज फंड मैनेजर कोटक AMC के MD नीलेश शाह, ICICI pru AMC के ED & CIO एस नरेन और 3P इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO प्रशांत जैन के साथ सीएनबीसी -आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल की खास बातचीत की। कहां दाव लगना है, किससे दूर रहना है, बाजार में कितने रिटर्न की उम्मीद रखें इन सब मुद्दों पर बात करते हुए इन्होंने अपनी राय रखी।
कोटक AMC के एमडी नीलेश शाह की राय
नीलेश शाह का कहना है कि चांदी को लेकर उनका अभी भी पॉजिटिव नजरिया है। सिल्वर की इंडस्ट्रियल डिमांड मजबूत बनी हुई है। पोर्टफोलियो में सोने और चांदी का भी हिस्सा होना चाहिए। FIIs का मानना है कि कंपनियों के वैल्युएशन महंगे हैं। FIIs डर का माहौल पैदा करना चाहते हैं। वहीं, DIIs का भारतीय शेयर मार्केट पर भरोसा बना हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने वैज्ञानिकों और उनके काम की सराहना करनी होगी। भारतीय इनोवेटर की सराहना करना जरूरी है। GST कट का असर तभी दिखेगा जब हम स्वदेशी अपनाएंगे। सरकार कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसके चलते आगे कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी सेगमेंट आउटपरफॉर्म कर सकता है। 20 के PE को बरकरार रखने की कोशिश होनी चाहिए।
ICICI प्रू AMC के ED & CIO एस नरेन की राय
एस नरेन का कहना है कि पिछले साल निवेशकों में काफी उत्साह था। इस साल निवेशक कम रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। इक्विटी में रिस्क कम हुआ है। सोने और चांदी में लोग ज्यादा रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। रिकॉर्ड तेजी के बाद अब सोने और चांदी में रिस्क दिखता है। टाइम करेक्शन के चलते वैल्युएशन कम हुआ है। बाजार की अमेरिकी इकोनॉमी की ग्रोथ नजर रहेगी। अमेरिका में AI स्टॉक्स में जोरदार तेजी रही है। अमेरिकी AI स्टॉक्स गिरे तो हम आउटपरफॉर्म कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि GST कट से कंजम्प्शन के लिए अच्छा होगा। GST कट से ऑटो सेक्टर को बूस्ट मिला है। इससे बैंक क्रेडिट को बूस्ट मिलेगा। सरकारी बूस्ट के बावजूद भी बाजार नहीं चले हैं। इसकी वजह भारतीय बाजार का वैल्युएशन महंगा होना है। लेकिन भारतीय बाजार का आउटलुक निगेटिव नहीं है। ग्लोबल मार्केट खासकर US मार्केट भी अब सस्ता नहीं है।
3P इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO प्रशांत जैन का कहना है कि
सोना और चांदी कहां तक जाएगा ये कहना मुश्किल है। पिछले साल के मुकाबले इक्विटी में रिस्क कम है। आगे लार्जकैप में 12-13 फीसदी रिटर्न संभव है। डेट फंड में 15 साल में पैसा दोगुना होता है। भारत में इनोवेशन और ग्लोबल ब्रान्ड की कमी है। इनोवेशन और ग्लोबल ब्रान्ड पर कंपनियों ने निवेश नहीं किया है। निफ्टी शेयरों में कोई सप्लाई नहीं है। 2-3 साल में निफ्टी आउटपरफॉर्म कर सकता है। बाजार 15 महीने से फ्लैट है। अब निफ्टी ऊपर की तरफ भागेगा। बैंक और ऑटो निफ्टी की तेजी को लीड कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।