साल 2022 में स्टार सेक्टोरल परफॉर्मर रहे निफ्टी बैंक और निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स ने इस साल अब तक अंडरपरफार्म किया है। 2022 में बैंक निफ्टी में 20 फीसदी की और निफ्टी पीएसयू बैंक में 50 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। जबकि इसी अवधि में बेंचमार्क निफ्टी में 4 फीसदी की हल्की बढ़त देखने को मिली थी। वहीं, कैलेंडर ईयर 2023 की बात करें तो अब तक निफ्टी बैंक में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वहीं, निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 10 फीसदी से ज्यादा टूटा है। जबकि इस अवधि में निफ्टी 2 फीसदी गिरा है।
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट भारतीय बैंकों के लिए खास कर सरकारी बैंकों के लिए एक बड़ी मुश्किल बनके सामने आई। अदाणी समूह की कंपनियों में भारतीय बैंकों के एक्सपोजर को लेकर निवेशक परेशान नजर आए। इसके चलते हाल के दिनों में बैंक शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। लेकिन इस मुद्दे पर अलग-अलग बैंकों और आरबीआई ने अपनी तरफ से सफाई जारी करते हुए कहा कि अदाणी समूह की कंपनियों में भरतीय बैंकों का बहुत ज्यादा पैसा नहीं फंसा है। बैंकों ने अदाणी समूह की कंपनियों को जो कर्जे दिए हैं उनके एवज में पर्याप्त कोलेटरल रख गए हैं। कर्ज की ये मात्रा ज्यादा है भी नहीं। ऐसे में अदाणी समूह की कंपनियों में बैंकों के एक्सपोजर को लेकर डरने की जरूरत नहीं है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि अदाणी समूह को दिया गया उसका कुल कर्ज बैंक के कुल लोन का सिर्फ 0.88 फीसदी या लगभग 27000 करोड़ रुपये है। वहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा ने बताया है कि वित्त वर्ष 2023 के तीसरी तिमाही के अंत तक अदाणी समूह को दिया गया उसका कुल कर्ज बैंक के लोन खाते का सिर्फ 0.60 फीसदी था।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अदाणी समूह को घरेलू बैंकों की तरफ से दिए गए कर्ज को लेकर बहुत बड़ा जोखिम नहीं है। भारतीय बैंकिंग सिस्टम इस तरह के किसी अकेले जोखिम से निपटने को लिए काफी मजबूत और पूरी तरह से सक्षम है।
अदाणी के अलावा कुछ और दिक्कतें भी आ रहीं नजर
वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन शानदार रहा है। तीसरी तिमाही में बैंकों की ब्याज आय, मुनाफे,नेट इंटरेस्ट मार्जिन और एसेट क्वालिटी सब में जोरदार सुधार देखने को मिला है। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या आगे भी ये मजबूत प्रदर्शन जारी रहेगा?
एक्सटर्नल बेंचमार्क दरों से जुड़े फ्लोटिंग-रेट लोन्स की तेजी से रि-प्राइसिंग के चलते पिछले साल बैंकों के मार्जिन में तेजी से विस्तार हुआ। रेपो रेट बढ़ने पर बैंक हमेशा जल्दी से कर्ज पर ब्याज बढ़ा देते हैं, लेकिन जमा दरों में बढ़त करने में देरी करते हैं।
बर्नस्टीन रिसर्च के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर का वर्तमान एनआईएम स्तर 2013 के बाद के पीक पर है। तीसरी तिमाही में, एसबीआई का एनआईएम 3.3 फीसदी, आईसीआईसीआई बैंक का 4.7 फीसदी, एक्सिस बैंक का 4.3 फीसदी और कोटक बैंक का एनआईएम 5.5 फीसदी था। ये सभी लेवल वित्त वर्ष 2014 से अब तक की अवधि के पीक लेवल हैं।
एनालिस्ट्स का मानना है कि रेपो रेट अपने चरम स्तर की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अब मार्जिन में और बढ़त की गुंजाइश सीमित दिख रही है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर की देनदारियां (जमा), लोन की तुलना में तेज गति से बढ़ रही हैं।
बैंकिंग सेक्टर में डिपॉजिट के लिए लड़ाई तेज होती जा रही है और लोन ग्रोथ कमजोर होती जा रही है। मनीकंट्रोल की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ शहरों में तो बैंकों डिपॉजिट बढ़ाने के लिए सचमुच सड़कों पर उतर आए हैं। एनालिस्ट्स का मानना है कि आगे हमें बैकों के मुनाफे और ब्याज आय में दबाव देखने को मिल सकता है।
बैंकिंग शेयरों में क्या हो रणनीति
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) की राय है कि निवेशकों को इस समय Tier-2 बैंकों से निकल कर Tier-1 बैंकों पर फोकस करना चाहिए। इसका मतलब ये है कि HDFC Bank, ICICI Bank, Axis Bank और SBI में दूसरे बैंकिंग शेयरों की तुलना में ज्यादा संभावनाएं दिख रही हैं।
बर्नस्टीन रिसर्च के मुताबिक एक्सटर्नल-लिंक्ड लोन की कम मात्रा के चलते प्राइवेट बैंकों में HDFC Bank के मार्जिन में अगले 12 महीनों में दूसरे बैंकों की तुलना में ज्यादा ग्रोथ देखने को मिलेगी।
वहीं, जेफरीज का मानना है कि 2022 में आई तेजी के बावजूद सरकारी बैंक अभी भी प्राइवेट बैंकों की तुलना में 70 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में सरकारी बैंकों में अभी भी ऊपर जाने के लिए कुछ दम बाकी है।
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