Black Monday: शेयर बाजार की दुनिया में 19 अक्टूबर 1987 को सबसे बुरा दिन माना जाता है। उस दिन Dow Jones ही कारोबारी सत्र में 22% से अधिक गिर गया था। एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां फिर से दुनिया को 1987 वाला ब्लैक मंडे दिखा सकती है।
CNBC के 'मैड मनी' होस्ट और हार्वर्ड लॉ ग्रेजुएट जिम क्रैमर (Jim Cramer) ने चेतावनी दी है कि सोमवार, 7 अप्रैल को जब शेयर बाजार खुलेगा, तो यह दिन 1987 के ब्लैक मंडे की तरह साबित हो सकता है। उनका कहना है कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्लोबल ट्रेड वॉर के संकट को नहीं सुलझाया, तो बाजार में बड़ी तबाही हो सकती है।
क्यों बन रहे हैं ब्लैक मंडे वाले हालात?
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रैमर ने साफ कहा कि निवेशकों की नजरें अब राष्ट्रपति ट्रंप की अगली रणनीति पर टिकी हैं। उन्होंने कहा, “अगर ट्रंप जिद छोड़कर ऐसे देशों और कंपनियों को राहत नहीं देते, जो नियमों का पालन करते हैं, तो बाजार में 1987 जैसे हालात बन सकते हैं।”
क्रैमर ने बताया कि 1987 के ब्लैक मंडे में तीन दिनों तक गिरावट के बाद एक ही दिन में 22% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा, “अगर मौजूदा हालात को देखते हुए कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो वैसी ही तबाही दोहराई जा सकती है।” ।
अमेरिकी बाजार में रिकॉर्ड गिरावट
शुक्रवार (4 अप्रैल) को अमेरिकी शेयर बाजार में COVID-19 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई। Dow Jones Industrial Average (DJIA) 5.50% गिरकर 38,314.86 पर बंद हुआ। Nasdaq Composite 5.82% की गिरावट के साथ 15,587.79 पर और S&P 500 लगभग 6% गिरकर 5,074.08 पर आ गया। एक ही दिन में शेयर बाजार से 5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की पूंजी साफ हो गई, जो निवेशकों के लिए बड़ा झटका है।
1987 का ब्लैक मंडे क्या था?
19 अक्टूबर 1987 को अमेरिकी शेयर बाजार Dow Jones में करीब 22.6% की गिरावट आई थी। यह अब तक की सबसे बड़ी सिंगल-डे क्रैश है। इस गिरावट का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह संकट यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों तक फैल गया। वह दिन था सोमवार और उस भारी क्रैश के चलते उसे 'ब्लैक मंडे' यानी काला सोमवार कहा जाने। इसे पहला 'ग्लोबल शेयर बाजार क्राइसिस' भी कहा जाता है।
इस घटना ने निवेशकों, सरकारों और बाजार नियामकों को हिला दिया था। इस गिरावट के पीछे कंप्यूटर-आधारित ट्रेडिंग एल्गोरिद्म, निवेशकों की घबराहट और बाजार में लिक्विडिटी की कमी जैसे कई कारण माने गए। ब्लैक मंडे के बाद से बाजार सुरक्षा के लिए "सर्किट ब्रेकर" जैसे नियम लागू किए गए, ताकि भविष्य में ऐसी गिरावट को रोका जा सके।