ग्लोबल इकोनॉमी में अजीब स्थिति दिख रही है। अमेरिका में इनफ्लेशन को काबू में करने की कोशिश हो रही है। इधर, चीन की इकोनॉमी पर डिफ्लेशन का खतरा मंडरा रहा है। दुनिया में सबसे बड़ी पहली और दूसरी इकोनॉमी में स्थिति बिल्कुल उलट है। अमेरिकी इकोनॉमी अच्छा परफॉर्म कर रही है, जबकि चीन की इकोनॉमी लड़खड़ाती दिख रही है। यूरोप भी संघर्ष करता दिख रहा है। ये बातें जहांगीर अजीज ने कहीं। अजीज JPMorgan में इमर्जिंग मार्केट्स इकोनॉमिक्स के ग्लोबल हेड हैं। सीएनबीसी-टीवी18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट को लेकर भी कई अहम बातें बताईं। उन्होंने यह भी बताया कि जुलाई में रिटेल इनफ्लेशन में अचानक आए उछाल का RBI की अक्टूबर पॉलिसी पर क्या असर पड़ेगा।
अमेरिका और चीन में विपरीत ट्रेंड
उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन में बिल्कुल एक दूसरे के उलट ट्रेंड दिख रहे हैं। इसका मार्केट पर कई तरह से असर पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि मार्केट धीरे-धीरे इस फर्क को समझ रहा है। अगर चीन को छोड़ दें तो उभरते बाजारों की इकोनॉमीज का प्रदर्शन भी अच्छा है। कई इकोनॉमिस्ट्स इन देशों की ग्रोथ के अपने अनुमान को बढ़ा रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि ऐसी स्थिति बन रही है, जिसमें अमेरिका और उभरते मार्केट्स बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, हमें यह समझना होगा कि चीन और यूरो जोन के प्रॉब्लम्स चिंता के विषय हैं।
इंटरेस्ट रेट में कमी अगले साल के मथ्य तक
इंडिया में रिटेल इनफ्लेशन के बारे में उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की कीमतें बढ़ रही हैं। लेकिन, हमें रिटेल और कोर दोनों तरह के इनफ्लेशन को देखना होगा। रिटेल इनफ्लेशन ने चौंकाया है, लेकिन कोर इनफ्लेशन में थोड़ी गिरावट आई है। यह 5.4 फीसदी से गिरकर 5.2 फीसदी पर आ गया है। चीन में एक्सपोर्ट-आधारित डिफ्लेशन की वजह से ग्लोबल गुड्स की कीमतों में गिरावट नियंत्रण में है। RBI का रुख इस बात पर निर्भर करेगा कि कृषि उत्पादों की कीमतों में उछाल का असर कोर इनफ्लेशन पर पड़ता है या नहीं। इसमें कुछ समय लग सकता है, क्योंकि यह तभी होगा जब खरीफ और रबी फसलों का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। इसके चलते RBI के इंटरेस्ट रेट में कमी करने की शुरुआत अगले साल के मध्य तक हो सकती है।
फेडरल रिजर्व के सामने कई चुनौतियां
अमेरिकी इकोनॉमी के बारे में पूछने पर जहांगीर ने कहा कि फेडरल रिजर्व के सामने कई जटिलताएं हैं। अमेरिका में रिटेल सेल्स और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन का प्रदर्शन अच्छा है। लेकिन, फेडरल रिजर्व को इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की जल्दबाजी नहीं है। ऐसा लगता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक अभी अपने रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा। वे चाहते हैं कि पहले इंटरेस्ट रेट्स में की गई वृद्धि को इकोनॉमी, फाइनेंशियल मार्केट्स और बैंकिंग सेक्टर अच्छी तरह के अबजॉर्ब (absorb) कर लें। अगर इनफ्लेशन हाई बना रहता है तो अगले साल इंटरेस्ट रेट में वृद्धि हो सकती है।