दिग्गज निवेशक भरत शाह ने न्यू टेक कंपनियों में निवेश नहीं करने की वजह बताई, जानिए उन्होंने क्या कहा

भरत शाह ने कहा कि कुछ न्यू टेक कंपनियों ने बिजनेस काफी बढ़ाया है, लेकिन वे अब तक मुनाफे में नहीं आ पाई हैं। प्रॉफिट की उनकी परिभाषा भी अलग है। वे बहुत क्रिएटिव तरीके से इसे बताती हैं। इसमें कुछ एडजस्टमेंट्स से लेकर कुछ टाइम फ्रेम शामिल होता है...ऐसे में हम यह देखना चाहते हैं कि रियल प्रॉफिट कहां है। प्रॉफिट का मतलब प्रॉफिट है। प्रॉफिट की कई परिभाषा नहीं हो सकती

अपडेटेड Aug 17, 2023 पर 12:08 PM
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भरत शाह ने कहा कि न्यू टेक कंपनियों में इनवेस्टमेंट के लिए अच्छा शुरुआती प्वाइंट तब होगा, जब ये कंपनियां मुनाफा बनाना शुरू कर देंगी। तब तक मैं इन्हें ऑब्जर्व करता रहूंगा।

ज्यादातर न्यू एज कंपनियों में वेंचर फंडों का इनवेस्टमेंट है। इनमें प्रमोटर की होल्डिंग कम है। दरअसल बिजनेस बढ़ाने के लिए प्रमोटरों ने वेंचर फंडों से काफी पैसे जुटाए हैं। इसके लिए प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी बेची है। इससे कंपनी में उनकी हिस्सेदारी घटती गई है। यही वजह है कि ASK Investment Managers के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर भरत शाह न्यू एज कंपनियों में निवेश करने से कतराते हैं। उनका भरोसा इन कंपनियों पर नहीं बन पा रहा है।

ग्रोथ के लिए स्पष्ट सोच जरूरी

मनीकंट्रोल से बातचीत में शाह ने इस बारे में बताया। शाह एक दिग्गज इनवेस्टर भी हैं। मनीकंट्रोल ने उनसे मार्केट की मौजूदा स्थिति और इनवेस्टमेंट को लेकर कई सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि जब किसी कंपनी की सोच स्पष्ट होती है और उसका बिजनेस सही होता है, तो उसकी ग्रोथ भी बेहतर होती है।


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प्रॉफिट की कई परिभाषा नहीं हो सकती

न्यू एज कंपनियों के बारे में शाह ने कहा कि इनमें से कुछ ने बिजनेस काफी बढ़ाया है, लेकिन वे अब तक मुनाफे में नहीं आ पाई हैं। प्रॉफिट की उनकी परिभाषा भी अलग है। वे बहुत क्रिएटिव तरीके से बताती हैं। इसमें कुछ एडजस्टमेंट्स से लेकर कुछ टाइम फ्रेम शामिल होता है...ऐसे में हम यह देखना चाहते हैं कि रियल प्रॉफिट कहां है। प्रॉफिट का मतलब प्रॉफिट है। प्रॉफिट की कई परिभाषा नहीं हो सकती। इसकी आसान परिभाषा है-असल कैश फ्लो। अगर आपको लगातार रियल कैश फ्लो हो रहा है तो आपको पता है कि आप कुछ बिल्ड कर रहे हैं।

स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग के बाद बढ़ जाती है जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि न्यू एज कंपनियां क्वालिटी और मैनेजमेंट के मानकों पर भी कमजोर दिखती हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह इस बिजनेस को लेकर अपनी समझ बढ़ाने और इससे जुड़े मौकों का आकलन करते रहेंगे। इनवेस्टमेंट के लिए अच्छा शुरुआती प्वाइंट तब होगा, जब ये कंपनियां मुनाफा बनाना शुरू कर देंगी। तब तक मैं इन्हें ऑब्जर्व करता रहूंगा। जब कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाती हैं तो स्टॉक मार्केट में अपनी ताकत साबित करने की जिम्मेदारी कंपनी और उसके मैनेजमेंट की होती है। वे यह उम्मीद नहीं कर सकती कि कंपनी पर निवेशकों का भरोसा और विश्वास अपने आप बन जाएगा।

पब्लिक मार्केट के नियम सख्त हैं

उन्होंने कहा कि प्राइवेट और पब्लिक मार्केट्स की सोच में बहुत फर्क है। समय अच्छा होने पर प्राइवेट मार्केट काफी उदार होता है। लेकिन, जब कोई प्राइवेट कंपनी पब्लिक मार्केट का हिस्सा बन जाती है तो उसे कई तरह के सवालों के जवाब देने पड़ते हैं। पब्लिक मार्केट के अपने नियम हैं। ये काफी सख्त हैं। शाह उन कुछ चुनिंदा फंड मैनेजर्स में शामिल हैं, जिन्होंने इंडियन आईटी सेक्टर में मौजूद मौकों को काफी पहले भांप लिया था। उन्होंने 2000 के डॉट कॉम बूम से पहले इन कंपनियों में काफी निवेश किया था।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Aug 17, 2023 12:00 PM

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