इंडियन मार्केट में जैसी तेजी दिखी है, वैसी आगे दिखने की उम्मीद कम है। Kotak Institutional Equities के MD और को-हेड संजीव प्रसाद ने यह कहा है। उनका कहना है कि इंडियन मार्केट अभी काफी बुलिश है। लेकिन, यह कई निगेटिव खबरों पर ध्यान नहीं दे रहा। प्रसाद ने मनीकंट्रोल के वत्सला कामत से स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट सहित कई मसलों पर लंबी बातचीत की। उन्होंने मार्केट की वैल्यूएशन को लेकर चिंता जताई। प्रसाद का मानना है कि आगे मार्केट में करेक्शन आ सकता है।
इजराइल-हमास की लड़ाई बड़ा खतरा नहीं
इजराइल-हमास की लड़ाई के बारे में उन्होंने कहा कि इसके मध्य-पूर्व के दूसरे इलाकों में फैलने और पूरे इलाके के युद्ध की चपेट में आ जाने की उम्मीद नहीं है। यहां तक कि अरब देश भी इजराइल के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं। वे समझ रहे हैं कि अगले 30 साल में उन्हें अपनी इकोनॉमी में बदलाव लाना पड़ेगा। ऑयल और गैस आधारित इकोनॉमी की जगह उन्हें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज आधारित इकोनॉमी बनना पड़ेगा। अरब के कुछ देशों ने इस दिशा में कोशिश शुरू भी कर दी है।
मार्केट्स की नजरें सिर्फ अच्छी खबरें पर
इंडियन मार्केट की वर्तमान तस्वीर के बारे में उन्होंने कहा कि मार्केट अभी बहुत-बहुत बुलिश है। यह पॉजिटिव चीजों को देख रहा है, लेकिन निगेटिव चीजों को नजरअंदाज कर रहा है। शॉर्ट टर्म में चीजे पॉजिटिव दिख रही हैं। कंपनियों का EBITDA मार्जिन बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि FY23 की पहली छमाही के मुकाबले रॉ मैटेरियल की कीमतों में कमी आई है। इससे मार्जिन में रिकवरी दिखी है। साफ तौर पर ऐसा लगता है कि मार्केट प्रॉफिट में शॉर्ट-टर्म रिकवरी को लेकर उत्साहित है। मार्केट को मीडियम टर्म में इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पॉजिटिव रहने की उम्मीद है। लेकिन, हमें सिक्के के दूसरे पहलू को भी देखना होगा। कोविड के बाद कंजम्प्शन में बहुत ज्यादा रिकवरी देखने को नहीं मिली है। नौकरियों के मौके बढ़े हैं, लेकिन जॉब्स की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए प्रॉफिट में जो ग्रोथ दिख रही है, उसके लंबे समय तक जारी रहने की उम्मीद नहीं है।
विदेशी निवेशकों को इंडिया में रिटर्न नहीं दिख रहा
स्टॉक मार्केट्स में पिछले कुछ समय से विदेशी फंडों की बिकवाली के बारे में प्रसाद ने कहा कि फंड का फ्लो इनवेस्टमेंट की उम्मीद पर निर्भर करता है। फॉरेन इनवेस्टर्स कई चीजों के आधार पर निवेश के फैसले लेते हैं। इनमें ज्यादा रिटर्न कमाने के मौके और वैल्यूएशंस शामिल हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं कि इंडिया में वैल्यूएशन ज्यादा है। मौजूदा लेवल पर इंडिया में पैसे लगाने में उन्हें फायदा नजर नहीं आता। उनकी सोच और रिटेल इनवेस्टर्स की सोच में अंतर है। रिटेल इनवेस्टर्स ने हाल में जैसी तेजी देखी है, उससे उन्हें आगे अच्छे रिटर्न की उम्मीद दिख रही है। पिछले तीन साल की बात करें तो इंडियन मार्केट्स का रिटर्न बहुत अच्छा रहा है। इससे उन्हें लगता है कि आगे भी ऐसी स्थिति बनी रहेगी। यहीं वजह है कि SIP में रिकॉर्ड इनवेस्टमेंट हो रहा है।
स्मॉलकैप-मिडकैप स्टॉक्स का ज्यादा रिटर्न SIP से निवेश बढ़ने की वजह
प्रसाद ने कहा कि अगर आप SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में हो रहे निवेश को ध्यान से देखें तो ज्यादातर इनवेस्टमेंट स्मॉलकैप और मिडकैप फंड्स में हो रहा है। इसकी स्पष्ट वजह है कि निवेशकों को पिछले एक-दो साल में लार्जकैप स्टॉक्स में अच्छा रिटर्न नहीं दिखा है। अगर पिछले दो साल की बात करें तो निफ्टी का रिटर्न मुश्किल से 10 फीसदी रहा है। कई बड़ी कंपनियों के स्टॉक्स का रिटर्न नेगिटव रहा है। लेकिन, इस दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स ने 30-40 फीसदी रिटर्न दिए हैं। इसलिए आप समझ सकते हैं कि फ्लो का सीधा संबंध रिटर्न की उम्मीद से है। इसलिए FIIs ऐसे इनवेस्टर्स हैं, जिन्हें इंडियन मार्केट्स से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं दिख रही।