ताजा जियोपॉलिटिकल संकट का सबसे ज्यादा असर ग्लोबल बाजारों पर पड़ रहा है। भारत का बाजार भी इससे अछूता नहीं है लेकिन सरकारी सूत्रों ने साफ कर दिया है कि भारत इस ताजा संकट से निपटने में सक्षम है। क्रूड की कीमतें भी बढ़ी हैं लेकिन इसे लेकर फिलहाल कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है। इस खबर पर ज्यादा डिटेल के साथ सीएनबीसी-आवाज संवाददाता आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबित सरकार का मानना है कि भारत पर ग्लोबल संकट का असर नहीं होगा।
सूत्रों के मुताबिक सरकार के अंदरखाने इस तरह की राय है कि ईरान-इजरायल जंग से डरने की जरूरत नहीं है। हलांकि ईरान-इजरायल जंग का असर भारतीय बाजारों पर पड़ा है। इस जंग से निपटने में भारतीय अर्थव्यवस्था सक्षम है। सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि शेयर बाजार पर FPIs बिकवाली का ज्यादा असर नहीं होगा। रिटेल निवेशकों की भागीदारी मार्केट को मजबूती दे रही है। हम लगातार अपनी क्षमता बढ़ाने को लेकर काम कर रहे हैं।
सरकार की राय है कि ताजा जियोपॉलिटिकल संकट से क्रूड कीमतें भी बढ़ीं हैं। लेकिन महंगे क्रूड को लेकर तत्काल कदम उठाने की जरूरत नहीं है। देश ने क्रूड का इससे भी ज्यादा भाव देखा है।
गौरतलब है कि ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच बाजार में गिरावट नहीं थम रही है। तेज उतार-चढ़ाव के बीच निफ्टी 100 अंकों से ज्यादा गिरकर 25100 के पास आ गया है। निफ्टी बैंक भी ऊपर से 600 अंक टूटा है। मिडकैप, स्मॉलकैप ने भी सारी बढ़त गंवा दी है। दोपहर 1 बजे के आसपास सेंसेक्स 383 अंक या 0.5 फीसदी गिरकर 82,113 पर और निफ्टी 101 अंक या 0.4 फीसदी गिरकर 25,148 पर दिख रहा था। लगभग 1,658 शेयरों में बढ़त देखने को मिल रही थी। 1,683 शेयरों में गिरावट थी और 104 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
ब्रॉडर मार्केट में भी इस गिरावट का असर दिखा। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप दोनों सूचकांकों में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस बीच, इंडिया VIX या फीयर इंडेक्स 7 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 14 पर पहुंच गया है।