LIC के शेयरों की सोमवार को जबर्दस्त पिटाई हुई। यह शेयर 4 फीसदी से ज्यादा गिर गया। इसकी वजह यह है कि LIC के आईपीओ में इनवेस्ट करने वाले एंकर इनवेस्टर्स के लिए लॉक-इन पीरियड सोमवार को खत्म हो गया। इसका मतलब है कि अब एंकर इनवेस्टर्स LIC के अपने शेयर बेच सकते हैं।
सोमवार को करीब 11:05 बजे LIC का शेयर 4.33 फीसदी गिरकर 679 रुपये पर चल रहा था। यह इस शेयर का सबसे निचला स्तर है। सुबह में यह 691 रुपये पर खुला। फिर, बिकवाली दबाव के चलते प्राइस और गिर गए। सोमवार को लगातार 10वें दिन LIC के शेयर में गिरावट आई।
सोमवार को एलआईसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन गिरकर 4.3 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह देश की सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली टॉप कंपनियों की लिस्ट से बाहर हो गई है। यह छठे पायदान पर आ गई है। लिस्टिंग से अब तक इस शेयर के इनवेस्टर्स के 1.7 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। यह शेयर 17 मई को लिस्ट हुआ था। तब इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 6 लाख करोड़ रुपये था। यह देश की पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी थी।
LIC का आईपीओ 3 मई को ओपन हुआ था। यह 9 मई को बंद हुआ। सरकार ने इस कंपनी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 21,000 करोड़ रुपये हासिल किए थे। एंकर इनवेस्टर्स ने एलआईसी के 5.93 करोड़ शेयर खरीदे थे। कंपनी ने 949 रुपये पर इनवेस्टर्स को शेयर जारी किए थे। एंकर इनवेस्टर्स में ज्यादा घरेलू फंड्स थे। उन्हें अब तक 25 फीसदी से ज्यादा लॉस हो चुका है।
LIC के आईपीओ में देश और विदेश के एंकर इनवेस्टर्स ने पैसे लगाए थे। इनमें गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर, एसबीआई म्यूचुअल फंड, HDFC Mutual Fund और एक्सिस म्यूचुअल फंड शामिल थे। लेकिन, ज्यादा निवेश घरेलू म्यूचुअल फंडों ने किया था। इस इश्यू में म्यूचुअल फंड की 99 स्कीमों में 4000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे।
इस इश्यू में LIC के पॉलिसीहोल्डर्स ने खूब दिलचस्पी दिखाई थी। पॉलिसीहोल्डर्स का कोटा छह गुना सब्सक्राइब हो गया था। इसकी वजह डिस्काउंट था। कंपनी ने अपने पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट दिया था। रिटेल इनवेस्टर्स को प्रति शेयर 45 रुपये का डिस्काउंट मिला था। इस वजह से रिटेल इनवेस्टर्स ने भी इस इश्यू में अच्छी दिलचस्पी दिखाई थी।