इंडियन स्टॉक मार्केट में हालात जल्द बदलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। इसकी वजह यह है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली जारी रहने के आसार हैं। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के को-फाउंडर और चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने अनुमान जताया है।
अग्रवाल ने CNBC-TV18 से बातचीत में कहा, "FII की बिकवाली देखकर मैं चकित हूं। इंडियन मार्केट में उनकी 20 फीसदी हिस्सेदारी है, जिससे उनकी बिकवाली जारी रह सकती है। अगर हालात में बदलाव नहीं आता है तो फॉरेन इनवेस्टर्स की बिकवाली जारी रह सकती है।"
अग्रवाल का मानना है कि फॉरेन इनवेस्टर्स इसलिए बिकवाली कर रहे हैं, क्योंकि उभरते बाजारों के मुकाबले उन्हें दूसरी जगह ज्यादा मुनाफा दिख रहा है। दूसरी वजह यह है कि उभरते बाजार में उनके पोर्टफोलियो का प्रदर्शन कमजोर रहा है। पिछले 8 महीने से फॉरेन इनवेस्टर्स इंडियन मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने 2.5 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि अगल हालात नहीं बदलते हैं तो इंडियन मार्केट पर दबाव बना रहेगा। मैं इस मामले में बाजार में सावधानी बरतूंगा कि मैं क्या खरीद रहा हूं और किस प्राइस पर खरीद रहा हूं।"
उन्होंने कहा कि अगर सही कीमत पर बाजार में अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने का मौका दिखता है तो फिर डरने की कोई वजह नहीं है। हालांकि, उनका मानना है कि अब भी ज्यादातर कंपनियों के शेयर महंगे हैं।
अग्रवाल ने कहा कि कंपनियों के एनालिसिस के लिए 12 महीने के ट्रेलिंग अर्निंग को देखना चाहिए। बाजार की मौजूदा स्थितियों में बैंक, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है। कंपनियों की इनकम में ग्रोथ को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि किन कंपनियों के पास प्राइसिंग पावर है। मुनाफे की ग्रोथ के लिए प्राइसिंग पावर जरूरी है।
यूक्रेन क्राइसिस के बाद शेयर बाजार में आई गिरावट ने निवेशकों को मायूस किया है। बाजार एक कदम आगे बढ़ने के बाद दो कदम पीछे बढ़ाता है। इससे इनवेस्टर्स खासकर नए निवेशकों में डर का माहौल है। उन्हें नहीं समझ में आ रहा कि अभी क्या करना चाहिए।