LIC IPO : सैंक्टम वैल्थ के हेमांग कपासी (Hemang Kapasi) ने कहा कि 30 सितंबर, 2021 को एलआईसी (LIC) की एम्बेडेट वैल्यू (embedded value) 5.4 लाख करोड़ रुपये थी। इस तरह की लिस्टेड इंश्योरेंस कंपनियां एम्बेडेड वैल्यू से 2.5-4 गुने पर कारोबार कर रही हैं। अगर इस ऊपरी मल्टीपल्स के औसत को लें और इसे LIC के ईवी पर लागू करें तो भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन (market capitalization) 15-17 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। हालांकि, LIC को उसके आरओई (ROE) के कारण ज्यादा मल्टीपल मिल सकता है, जो प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में ज्यादा है।
वित्त वर्ष 21 में 80% रहा LIC का रिटर्न ऑन इक्विटी
हेमांग कपासी ने कहा, उन्हें लगता है कि इससे सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी कम हो सकती है, क्योंकि इनवेस्टर्स LIC के IPO में निवेश के लिए खासे उत्साहित हैं। LIC ने वित्त वर्ष 11-21 के दौरान 8 फीसदी की सीएजीआर ग्रोथ दर्ज की है और वित्त वर्ष 21 में उसका रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 80 फीसदी से ज्यादा रहा है।
हर कैटेगरी के इनवेस्टर्स की होगी IPO में भागीदारी
सभी तरह के इनवेस्टर्स, उसके कर्मचारियों और पॉलिसीहोल्डर्स की एलआईसी के आईपीओ में बड़ी भागीदारी के सवाल पर कपासी ने कहा कि 60 फीसदी ज्यादा मार्केट शेयर के साथ LIC भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। इस IPO का लंबे समय से इंतजार था और इसके लिए हर कैटगरी के इनवेस्टर्स की भारी भागीदारी देखने को मिलनी चाहिए।
मार्च में फेड के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका से उतार-चढ़ाव
क्या यूएस फेड मार्च में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी कर सकता है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यूएस फेड ने अपनी पिछली बैठक में महंगाई से निबटने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दे दिए थे। मार्केट पहले ही 2022 में 3 बढ़ोतरी का आकलन कर रहा है। बाजार में पहले से मार्च की बैठक में फेड के ब्याज दरों में 0.25-.50 फीसदी तक बढ़ोतरी के रिस्क के साथ खासा उतार-चढ़ाव बना हुआ है।
भारत के प्रति एफआईआई के निगेटिव व्यू की कोई वजह नहीं
ब्याज दरों में बढ़ोतरी और यूएस बॉन्ड यील्ड्स में मजबूती के भारत में होने वाले एफआईआई के फ्लो पर प्रभाव पर उन्होंने कहा, भारत के प्रति एफआईआई के निगेटिव व्यू का कोई कारण नहीं है, क्योंकि भारत 2021 में बेस्ट परफॉर्मिंग मार्केट्स में से एक रहा है। उन्होंने कहा कि भारत 2022 में दुनिया में सबसे तेजी से उभरती इकोनॉमीज में से एक बना रहेगा, क्योंकि सरकर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट पर खासा ध्यान दे रही है। पूंजी खर्च भी बढ़ा रही है। इसका इकोनॉमी को फायदा मिलेगा।