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LIC का शेयर 653 रुपये का रह गया, लिस्टिंग के बाद 32% गिर चुका है, क्या आपके पास भी है?

शुक्रवार को एलआईसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन गिरकर 4.13 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह देश की सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली टॉप कंपनियों की लिस्ट से बाहर हो गई है

अपडेटेड Jun 17, 2022 पर 1:38 PM
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शुक्रवार को आई गिरावट के बाद LIC का शेयर लिस्टिंग के बाद एशिया में सबसे ज्यादा गिरने वाला शेयर बन गया है।

LIC का शेयर शुक्रवार को सिर्फ 653 रुपये का रह गया। इश्यू प्राइस से यह शेयर करीब 32 फीसदी टूट चुका है। यह शेयर 17 मई को BSE और NSE पर लिस्ट हुआ था। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है। इस हफ्ते एंकर इवेस्टर्स के लिए लॉक-इन पीरियड खत्म होने पर इसमें बड़ी गिरावट दिखी है।

शुक्रवार को आई गिरावट के बाद LIC का शेयर लिस्टिंग के बाद एशिया में सबसे ज्यादा गिरने वाला शेयर बन गया है। दूसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया की कंपनी LG Energy Solution है। इसका शेयर लिस्टिंग के बाद 30 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं।

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शुक्रवार को एलआईसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन गिरकर 4.13 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह देश की सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली टॉप कंपनियों की लिस्ट से बाहर हो गई है। यह छठे पायदान पर आ गई है। लिस्टिंग से अब तक इस शेयर के इनवेस्टर्स के 1.87 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। 17 मई को लिस्टिंग के दिन इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 6 लाख करोड़ रुपये था। तब यह देश की पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी थी।

LIC का आईपीओ 3 मई को ओपन हुआ था। यह 9 मई को बंद हुआ। सरकार ने इस कंपनी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 21,000 करोड़ रुपये हासिल किए थे। एंकर इनवेस्टर्स ने एलआईसी के 5.93 करोड़ शेयर खरीदे थे। कंपनी ने 949 रुपये पर इनवेस्टर्स को शेयर जारी किए थे। एंकर इनवेस्टर्स में ज्यादा घरेलू फंड्स थे। उन्हें अब तक 25 फीसदी से ज्यादा लॉस हो चुका है।

LIC के आईपीओ में देश और विदेश के एंकर इनवेस्टर्स ने पैसे लगाए थे। इनमें गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर, एसबीआई म्यूचुअल फंड, HDFC Mutual Fund और एक्सिस म्यूचुअल फंड शामिल थे। लेकिन, ज्यादा निवेश घरेलू म्यूचुअल फंडों ने किया था। इस इश्यू में म्यूचुअल फंड की 99 स्कीमों में 4000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे।

इस इश्यू में LIC के पॉलिसीहोल्डर्स ने खूब दिलचस्पी दिखाई थी। पॉलिसीहोल्डर्स का कोटा छह गुना सब्सक्राइब हुआ था। इसकी वजह डिस्काउंट था। कंपनी ने अपने पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट दिया था। रिटेल इनवेस्टर्स को प्रति शेयर 45 रुपये का डिस्काउंट मिला था। इस वजह से रिटेल इनवेस्टर्स ने भी इस इश्यू में अच्छी दिलचस्पी दिखाई थी।

लेकिन, कमजोर लिस्टिंग की वजह से इस आईपीओ में पैसे लगाने वाले निवेशकों को निराशा हुई थी। फिर, लगातार गिरावट ने उन्हें हताश कर दिया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उन्हें क्या करना चाहिए। मौजूदा भाव पर बेचने पर उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।

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