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LIC का शेयर 815 के लेवल से नीचे आया, जानिए इनवेस्टर्स को हुआ कितना लॉस

LIC Share Price : एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स इस शेयर में फंस गए हैं। उन्हें इससे बाहर निकालने का मौका नहीं मिल रहा है। इनवेस्टर्स को पेटीएम के शेयर पहले ही बहुत चूना लगा चुके हैं

अपडेटेड May 25, 2022 पर 6:26 PM
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सरकार ने एलआईसी के आईपीओ के जरिए करीब 21,000 करोड़ रुपये जुटाए। सरकार ने इस इश्यू के जरिए एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची है।

LIC के शेयरों की पिटाई जारी है। बुधवार को इस शेयर का प्राइस (LIC Share Price) 0.99 फीसदी गिरकर 814.95 रुपये पर आ गया। यह शेयर 17 मई को शेयर बाजार में लिस्ट हुआ था। यह शेयर इश्यू प्राइस (Issue Price) से करीब 8.11 फीसदी डिस्काउंट के साथ 872 रुपये पर लिस्ट हुआ। बीएसई पर यह 867 रुपये पर लिस्ट हुआ।

कंपनी ने 949 रुपये प्रति शेयर के भाव पर इनवेस्टर्स को शेयर अलॉट किए थे। पॉलिसीहोल्डर्स, रिटेल इनवेस्टर्स और एंप्लॉयीज को डिस्काउंट मिला था। पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट मिला था। रिटेल इनवेस्टर्स और एंप्लॉयीज के प्रति शेयर 45-45 रुपये का डिस्काउंट मिला था। डिस्काउंट के बाद पॉलिसीहोल्डर्स को एक शेयर की कीमत 889 रुपये पड़ी थी। रिटेल इनवेस्टर्स और एंप्लॉयीज को डिस्काउंट के बाद यह शेयर 904 रुपये पड़ा था।

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इस तरह अभी पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 74 रुपये का लॉस हो रहा है। मान लीजिए अगर किसी पॉलिसीहोल्डर को एक लॉट यानी 15 शेयर अलॉट हुआ है। इस तरह उसे कुल 1110 रुपये का लॉस हो रहा है। रिटेल इनवेस्टर्स और एंप्लॉयीज को प्रति शेयर 89 रुपये का लॉस हो रहा है। एक लॉट पर उन्हें 1,335 रुपये का नुकसान हो रहा है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स इस शेयर में फंस गए हैं। उन्हें इससे बाहर निकालने का मौका नहीं मिल रहा है। इनवेस्टर्स को पेटीएम के शेयर पहले ही बहुत चूना लगा चुके हैं। अब देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी का शेयर उसी रास्ते पर चलता नजर आ रहा है।

एलआईसी का आईपीओ 4 मई को खुला था। यह 9 मई को बंद हुआ था। सरकार ने इस आईपीओ को शनिवार और रविवार को भी ओपन रखा था। शनिवार और रविवार को बैंकों की शाखाएं खोलने का निर्देश दिया था। पहले इस तरह से किसी आईपीओ को इस तरह की रियायत शायद ही मिला हो।

सरकार ने एलआईसी के आईपीओ के जरिए करीब 21,000 करोड़ रुपये जुटाए। सरकार ने इस इश्यू के जरिए एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची है। एलआईसी में इश्यू से पहले सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी थी।

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