GST जीरो, चहक उठे LIC और Star Health समेत इन बीमा कंपनियों के शेयर

Insurance Stocks: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में इंडिविजुअल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को लेकर बड़ा फैसला हुआ। इन पर जीएसटी की दर को 18% से घटाकर जीरो कर दिया गया। इस कारण इंश्योरेंस कंपनियों के शेयर रॉकेट बन गए और 3% तक उछल गए। चेक करें ओवरऑल स्थिति

अपडेटेड Sep 04, 2025 पर 11:36 AM
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Insurance Stocks: इंडिविजुअल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दरें 18% से घटाकर जीरो कर दी गई तो इंश्योरेंस कंपनियों के शेयर चहक उठे।

Insurance Stocks: इंडिविजुअल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दरें 18% से घटाकर जीरो कर दी गई तो इंश्योरेंस कंपनियों के शेयर चहक उठे। इसके चलते एचडीएफसी लाइफ (HDFC Life), एसबीआई लाइफ (SBI Life), एलआईसी (LIC), ICICI प्रूडेंशियल लाइफ (ICICI Prudential Life), न्यू इंडिया एश्योरेंस (New India Assurance), ICICI लोम्बार्ड (ICICI Lombard), स्टार हेल्थ (Star Health) के शेयर 2-3% तक उछल पड़े। बता दें कि इंडिविजुअल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी काउंसिल की 3 सितंबर को हुई 56वीं बैठक में जीएसटी को 18% से घटाकर 0% किए जाने का फैसला हुआ है।

जीएसटी कटौती का आम लोगों को मिलेगा फायदा?

बीमा पर जीएसटी की दर को शून्य किया जाना कंज्यूमर्स के लिए फायदेमंद दिख रहा है लेकिन ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि बीमा कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) राहत को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। इन पर जीएसटी की दरें कम करने की लंबे समय से मांग रही है लेकिन घरेलू ब्रोकरेज फर्म Emkay Global के मुताबिक सरकार को रेवेन्यू में गिरावट की भी आशंका रही है। अब जब जीएसटी काउंसिल ने रिटेल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दरें जीरो कर दिया है, एमके ग्लोबल का मानना है कि इसका फायदा आम लोगों को दिया जाना चाहिए।


हालांकि ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि जीएसटी कटौती का फायदा ग्राहकों चक पहुंचाने के बावजूद इनपुट टैक्स क्रेडिट में हुई नुकसावन की भरपाई के लिए प्रीमियम बढ़ाना पड़ सकता है। इसकी वजह ये है कि बीमा कंपनियों को अब खर्चों पर जीएसटी देना होगा और वह इनपुट क्रेडिट भी क्लेम नहीं कर सकेंगे। इनकी भरपाई के लिए ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का अनुमान है कि बीमा कंपनियां प्रीमियम 1-4% तक बढ़ा सकती हैं। हालांकि ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि प्रीमियम पर जीएसटी चुकाने की तुलना में इसका असर कम ही होगा।

उदाहरण से समझें पूरा कैलकुलेशन

मान लीजिए कि प्रीमियम ₹100 है। इसमें 18% की जीएसटी जोड़कर प्रीमियम हुआ ₹118। अब बीमा कंपनियां इस प्रीमियम को वसूलने के लिए कमीशन और अन्य सर्विसेज को मिलाकर ₹35 खर्च कर रही हैं तो वह ₹35 के 18% के हिसाब से ₹6.3 जीएसटी चुकाएंगी। अब बीमा कंपनियां इस ₹6.3 को कलेक्ट की गई जीएसटी में से घटाकर सिर्फ ₹11.7 ही सरकार को देगी। हालांकि अब प्रीमियम पर जीएसटी हट गई है तो आईटीसी बेनेफिट चला गया और बीमा कंपनियों को पूरा देना होगा। इसकी भरपाई के लिए बीमा कंपनियां बेस प्रीमियम बढ़ा सकती हैं जिससे प्रीमियम ₹106.3 पहुंच सकता है।

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डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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First Published: Sep 04, 2025 11:09 AM

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