24 जनवरी यानी आज के कारोबार में लगातार 5वें दिन बाजार में गिरावट देखने को मिली। दोपहर तक बाजार लगभग दो फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था। इन 5 दिनों की भारी बिकवाली में निवेशकों को करीब 17.54 करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। 17 जनवरी से अब तक निफ्टी 1,100 अंक यानी 5.4 फीसदी टूट गया है। वहीं, सेंसेक्स 3,300 अंकों से ज्यादा टूट गया है।
आइए हम डालते हैं उन कारणों पर एक नजर जो बाजार में बिकवाली के पीछे काम कर रहे हैं।
1-ग्लोबल बाजारों में हो रही बिकवाली
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़त की संभावना ने पूरी दुनिया में बिकवाली का दबाव बढ़ा दिया है। यूएस फेड की अगली पॉलिसी मीट 25-26 जनवरी को होगी। एनालिस्ट को उम्मीद है कि 2022 में महंगाई में बढ़त की वजह से फेड की पॉलिसी में कड़ाई आएगी। इस साल फेड चार रेट हाइक लेगा। 21 जनवरी को खत्म हुआ हफ्ता अमेरिकी स्टॉक इंडेक्सों के लिए अब तक का सबसे बुरा हफ्ता रहा है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी का भूत बाजार पर हावी दिखा।
2-औंधे मुंह गिरे टेक स्टॉक
पिछले कुछ महीनों के दौरान भारी वैल्यूएशन पर शेयर बाजार में लिस्ट हुए नए जमाने के टेक्नोलॉजी स्टॉक में जोरदार गिरावट देखने को मिली है। जिससे निवेशकों के सेंटिमेंट पर गहरी मार पड़ी है। खुदरा और हाई नेटवर्थ वाले निवेशकों ने इन स्टॉक्स पर भारी दांव लगाया था और अब उनको इनसे भारी झटका लगा है। यूएस फेड द्वारा इस साल कई बार ब्याज दर बढ़ाने की संभावना से इन शेयरों को सबसे ज्यादा झटका लगा है। पूरी दुनिया में और खासकर अमेरिका में टेक सेक्टर भारी दबाव में है।
भारतीय बाजार पर नजर डालें तो पेटीएम की पेरेंट कंपनी One97 Communications,CarTrade, PB Fintech, और Fino Payments Bank अपने लिस्टिंग प्राइस से 10-50 फीसदी फिसल गए हैं। इसी तरह Zomato और नायका की पैरेंट कंपनी FSN E-commerce लिस्टिंग के बाद के अपने हाई से 21 फीसदी टूट गए हैं।
भारत में कोविड मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। पिछले कुछ दिनों से 3 लाख केस से ऊपर बने हुए हैं। इसके चलते भी बाजार में चिंता बनी हुई है। तमाम राज्यों ने या तो प्रतिबंध बढ़ा दिए हैं या प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। एनालिस्ट का मानना है कि इससे नियर टर्म में इकोनॉमी गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।
बढ़ती लागत से कंपनी के कमाई पर पड़ा असर
तीसरी तिमाही के नतीजों के शुरुआती रुझान से साफ है कि बढ़ता उत्पादन लागत खेल बिगाड़ने वाला साबित हो रहा है। इसकी वजह से एक और तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन पर मार पड़ती दिखी है। हालांकि कंपनियों की आय उम्मीद के आसपास ही रही है। एनालिस्ट का मानना है कि कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी और क्रूड ऑयल के भाव में बढ़त वर्तमान तिमाही में भी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव देखने को मिलेगा।
फेस्टिव सीजन में भी बाजार की मांग में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। बढ़ती महंगाई, बेमौसम बरसात की वजह से खरीफ के मौसम की देर से हुई कटाई और कोविड के दूसरी लहर की मार की वजह से तीसरी तिमाही के दौरान डिमांड पर निगेटिव असर देखने को मिला।