Meesho Share price : मीशो के शेयर 23 दिसंबर को 8 प्रतिशत से ज़्यादा गिर गए> लगातार तीसरे सेशन में स्टॉक में बड़ा नुकसान देखने को मिला है। यह नया लिस्टेड स्टॉक सिर्फ चार सेशन में 65% बढ़ा और फिर उसकी तेजी धीमी पड़ गई। तेज़ रैली के बाद तीन सेशन में मीशो के शेयर 21% गिरे हैं। एनालिस्ट्स ने स्टॉक के वैल्यूएशन और प्रॉफिटेबिलिटी को लेकर चिंता जताई है। इसके चलते इस शेयर पर दबाव देखने को मिल रहा है।
मिशो के शेयर कारोबार के अंत में 7.15 फीसदी गिरकर 187.25 रुपए पर बंद हुए। स्टॉक सिर्फ तीन सेशन में 21 प्रतिशत से ज़्यादा गिर गया है। इससे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइज़ेशन 85,000 करोड़ रुपये से नीचे चला गया है।
बोनैन्ज़ा के रिसर्च एनालिस्ट अभिनव तिवारी का कहना है कि मीशो एक मज़बूत लॉन्ग-टर्म बिज़नेस है, लेकिन तेज़ रैली के बाद इसका मौजूदा भाव रिस्क-रिवॉर्ड को आकर्षक नहीं बनाता है। उन्होंने कहा कि कंपनी की ग्रोथ स्टोरी भरोसेमंद है। लेकिन शेयर काफी महंगा है। उन्होंने यह भी कहा कि इतनी ऊंची कीमतों पर शेयर खरीदने से पहले यह ध्यान में रखें की इसके साथ एग्जीक्यूशन रिस्क है। कंपनी को अभी भी नुकसान हो रहा है।
उन्होंने आग कहा कि मीशो के फंडामेंटल्स में लगातार सुधार हो रहा है, लेकिन वैल्यूएशन बड़ा रिस्क है। मजबूत IPO सब्सक्रिप्शन और लिस्टिंग के बाद कीमत में तेज़ बढ़ोतरी से पता चलता है कि उम्मीदें फंडामेंटल्स से आगे निकल गई हैं। इसे देखते हुए किसी गिरावट में ज्यादा बेहतर कीमत का इंतज़ार करना बेहतर रिस्क रिवॉर्ड दे सकता है।
INVasset PMS के बिजनेस हेड हर्षल दसानी ने कहा कि मीशो की तेज़ रैली ने इसकी कीमत को ब्रोकरेज द्वारा तय टारगेट प्राइस से काफी ज्यादा कर दिया है, जिससे पता चलता है कि शुरुआती उम्मीदों का एक बड़ा हिस्सा पहले ही कीमत में शामिल हो चुका है। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी अभी भी प्रॉफिटेबल जोन में आने क लिए संघर्ष कर रही है। इस स्टेज पर, इन्वेस्टर का भरोसा शॉर्ट-टर्म अर्निंग्स की संभावना से ज़्यादा लॉन्ग-टर्म की उम्मीदों पर आधारित है।
उन्होंने आगे कहा कि लिस्टिंग के बाद इंस्टीट्यूशनल भागीदारी से भरोसा बढ़ा है, लेकिन इन स्तरों को बनाए रखने के लिए यूनिट इकोनॉमिक्स, ऑपरेटिंग लेवरेज और कॉम्पिटिटिव इंटेंसिटी मैनेजमेंट में ठोस प्रगति की ज़रूरत होगी। पहसे से स्थापित कंज्यूमर या टेक प्लेटफॉर्म के विपरीत,मीशो अभी भी पब्लिक-मार्केट में अपनी काबिलियत साबित करने की कोशिश रहा है। ऐसी स्थिति में तिमाही परफॉर्मेंस और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी हो जाती है।
अब इन्वेस्टर्स का फोकस हेडलाइन ग्रोथ से हटकर डिलीवरी पर होना चाहिए। मीशो कितनी असरदार तरीके से स्केल को टिकाऊ प्रॉफिटेबिलिटी में बदलता है,जैसे सवाल ही आखिर में यह तय करेंगे कि IPO के बाद की तेजी बनी रहेगी है या समय के साथ -साथ यह अपनी रफ्तार खो देगी।
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