स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स इस महीने 9% तक हुए क्रैश, इन 4 वजहों से बढ़ा बिकवाली का दबाव
स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स में इस महीने अब तक 9% तक की गिरावट आ चुकी है। छोटे निवेशक अधिकतर इन्हीं शेयरों में पैसा लगाते हैं। ऐसे में स्मॉल और मिडकैप शेयरों में गिरावट से उन्हें सीधा नुकसान पहुंचता है। पिछले कुछ दिनों से यह गिरावट और तेजे हो गई है। आज भी कुछ ऐसा ही रहा। सेंसेक्स और निफ्टी में तो तेजी आई, लेकिन मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा
Small-Cap Stocks: जनवरी महीने में कंपनी के शेयरों में अबतक करीब 7.5% की गिरावट आ चुकी है
स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स में इस महीने अब तक 9% तक की गिरावट आ चुकी है। छोटे निवेशक अधिकतर इन्हीं शेयरों में पैसा लगाते हैं। ऐसे में स्मॉल और मिडकैप शेयरों में गिरावट से उन्हें सीधा नुकसान पहुंचता है। पिछले कुछ दिनों से यह गिरावट और तेजे हो गई है। आज भी कुछ ऐसा ही रहा। सेंसेक्स और निफ्टी में तो तेजी आई, लेकिन मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। आखिर स्मॉल और मिडकैप इंडेक्सों में यह गिरावट क्यों आ रही है और इसके पीछे की मुख्य वजहें क्या है? आइए जानते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं बाजार के प्रदर्शन की। Nifty Midcap 100 और Nifty Smallcap 100 इंडेक्स में गिरावट का ट्रेंड आज भी जारी रहा। बुधवार के ट्रेडिंग सेशन में ये इंडेक्स 2.5% तक गिर गए। खास बात ये है कि इससे पहले 21 जनवरी को भी इन इंडेक्सों में 2% से अधिक की गिरावट आई थी।
सेंसेक्स और निफ्टी ने तो कल की गिरावट की बाद आज कुछ हद तक वापसी की। लेकिन ब्रॉडर मार्केट में खूनखराबा अभी भी जारी है। सबसे अधिक गिरावट Nifty Smallcap 100 इंडेक्स में आई है। इस महीने यह इंडेक्स अबतक 9.2% तक गिर चुका है। सिर्फ 21 और 22 जनवरी को, दो दिन में ही यह इंडेक्स 5% लुढ़क गया। आदित्य बिड़ला रियल एस्सेट, इंडियामार्ट इंटरमेश और केंस टेक्नोलॉजीज जैसे स्टॉक्स में 9% तक की गिरावट आई।
एनालिस्ट्स का कहना है कि ऊंचे वैल्यूएशन, विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिकवाली और मुनाफावसूली के चलते इस सेगमेंट में गिरावट आ रही है। दूसरी ओर, Nifty Midcap 100 इस महीने करीब 7.7% तक नीचे आ चुकी है। Persistent Systems, Prestige Estates और Oberoi Realty जैसे मिडकैप स्टॉक्स 8% तक गिर चुके हैं।
इससे पहले मंगलवार को BSE Sensex में 1,235 अंकों की भारी गिरावट हुई, और यह अपने 7 महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह, NSE Nifty ने भी 320 अंक की गिरावट के साथ 23,024 के स्तर पर पहुंचा। सितंबर 2024 के उच्च स्तर से Nifty में करीब 12% की गिरावट आ चुकी है।
गिरावट के मुख्य कारण
अब सवाल ये है कि आखिर ये गिरावट क्यों हो रही है? मार्केट एनालिस्ट्स और राइट रिसर्च PMS की फाउंडर, सोनम श्रीवास्तव ने बताया कि इसके पीछे कई कारण हैं-
1. उच्च मूल्यांकन
2023 की तेज रैली के बाद स्मॉल और मिडकैप स्टॉक्स अपने ऐतिहासिक औसत से काफी ऊपर पहुंच गए थे। इन ऊंचे स्तरों को सही ठहराने के लिए बाजार को कोई नए ट्रिगर्स नहीं मिल रहे थे। इसके चलते यह स्वाभिवक था कि इस स्तर पर इन शेयरों में कुछ करेक्शन आए।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Selling):
विदेशी निवेशक तमाम कारणों से भारतीय शेयर बाजार से पैसे खींच रहे हैं। इसके चलते इन शेयरों में भी उनकी हिस्सेदारी घटी है, दिससे बाजार पर दबाव बना है।
3. मौद्रिक और आर्थिक दबाव (Macroeconomic Pressures)
सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर बढ़ती अनिश्चितता, कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और RBI की सख्त मॉनिटरी पॉलिसी ने निवेशकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। साथ ही बॉन्ड यील्ड में इजाफे से भी मार्केट में लिक्विडिटी की कमी हुई है और बड़े निवेशकों का इक्विटी से मोहभंग हुआ है।
4. मुनाफावसूली (Profit Booking):
छोटे और मझोले निवेशकों ने पहले की तेजी में इन शेयरों से काफी फायदा उठाया था। कोरोना काल के बाद से तो मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में मल्टीबैगर रिटर्न देने की होड़ लग गई थी। लेकिन अब बाजार में आ रही गिरावट के बीच ऐसे निवेशक अपने मुनाफा को निकाल रहे हैं और यह भी इन शेयरों में गिरावट का एक कारण बना है।
तो, अब आगे क्या?
मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार के मौजूदा माहौल में निवेशकों को सतर्क रहना जरूरी है। उन्हें मजबूत फंडामेंटल्स वाले क्वालिटी स्टॉक्स पर फोकस करना चाहिए और सट्टेबाजी से बचना चाहिए। सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि बाजार में इस तरह की गिरावट समय-समय पर जरूरी होती है। इसके चलते कंपनियों का वैल्यूएशन एक टिकाऊ स्तर पर आता है और लंबी अवधि के निवेशकों को अच्छे क्वालिटी स्टॉक्स में सही भाव पर एंट्री करने का मौका मिलता है।
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