मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में आई गिरावट का कंजम्प्शन ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। इन स्टॉक्स में आई गिरावट की भरपाई हाल में इनकम टैक्स में कटौती से होने की उम्मीद कम है। दिग्गज इनवेस्टर प्रशांत जैन का यह मानना है। 'वेल्थ फॉर्मूला' प्रोग्राम के लिए एन महालक्ष्मी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जैन ने स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट के बारे में कई अहम बातें बताईं।
स्मॉलकैप-मिडकैप स्टॉक्स में गिरावट से 500 अरब डॉलर की चपत
उन्होंने कहा कि इंडियन मार्केट जब ऑल-टाइम हाई पर था, तब इसका मार्केट कैटिपलाइजेशन करीब 5 ट्रिलियन डॉलर था। इसमें मिडकैप (Midcap Stocks) और स्मॉलकैप स्टॉक्स (Smallcap Stocks) की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। ऐसे में अगर मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में 20-30 फीसदी हिस्सेदारी का मतलब यह है कि लोगों का वेल्थ करीब 500 अरब डॉलर घटा है। यह नुकसान इनकम टैक्स में मिली राहत के मुकाबले ज्यादा है।
सोने में आई तेजी से निवेशकों की संपत्ति में गिरावट की भरपाई नहीं
सोने की कीमतों में आई तेजी से इनवेस्टर्स की सपंत्ति में हुए इजाफा के बारे में पूछने पर जैन ने कहा कि सोने में आई तेजी से शेयरों में आई गिरावट की भरपाई नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि इंडिया में लोगों का एसेट ऐलोकेशन एक जैसा नहीं है। सोने में तेजी से लोगों की संपत्ति बढ़ी है, लेकिन इससे उन लोगों को ज्यादा फायदा नहीं होगा जिन्होंने शेयरों में ज्यादा निवेश किया है।
तेजी के बावजूद लोग गोल्ड बेचना पसंद नहीं करते हैं
उन्होंने कहा कि इंडिया में लोग गोल्ड को अपने पास रखने के लिए खरीदते हैं। इसलिए गोल्ड में तेजी के बावजूद शायद ही लोग इसे सिर्फ इसलिए बेच देते हैं कि उसकी कीमतें चढ़ी हैं। लेकिन, जब लोग अपने डीमैट अकाउंट में बड़ा प्रॉफिट देखते हैं तो वे उस पैसे का इस्तेमाल छुट्टियां मनाने, बाइक या फोन जैसी चीजें खरीदने के लिए करते हैं।
मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन अब भी ज्यादा
जैन ने कहा कि सिर्फ टैक्स-सेविंग्स से कंजम्प्शन ज्यादा नहीं बढ़ेगा। उन्होंने कहा, "हर साल करीब 12 अरब डॉलर की टैक्स-सेविंग्स होती है। लेकिन, संपत्ति पर पड़ने वाला असर इसके मुकाबले ज्यादा है। कम से कम शॉर्ट टर्म में तो यही स्थिति है।" उन्होंने कहा कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यू अब भी ज्यादा है। इसलिए इनमें अगले 1-2 साल तक गिरावट जारी रह सकती है।
छोटे अमाउंट के लोन पर डिफॉल्ट वित्तीय दबाव बढ़ने का संकेत
उन्होंने कहा कि संपत्ति में गिरावट का असर कुछ समय तक इनवेस्टर्स के कंजम्प्शन पर जारी रह सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि छोटे अमाउंट के लोन में डिफॉल्ट का बढ़ना लोगों पर बढ़ते वित्तीय दबाव का संकेत है। इससे टैक्स में मिली राहत का इस्तेमाल लोग खर्च के बजाय अपने लोन चुकाने के लिए कर सकते हैं।
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कंजम्प्शन ज्यादा बढ़ने के नहीं मिल रहे संकेत
HDFC Mutual Fund के पूर्व सीआईओ ने कहा कि कंज्यूमर्स स्टॉक्स के संभावित बेहतर प्रदर्शन की बातें मार्केट में हो रही हैं। लेकिन, अगर कंजम्प्शन घट नहीं रहा है तो यह बढ़ भी नहीं रहा है। कंज्यूमर कंपनियों की ग्रोथ उतनी रह सकती है, जितनी बीते सालों में रही है। लेकिन, इसमें ज्यादा तेजी देखने को नहीं मिलेगी। कंज्यूमर स्टॉक्स पर हाई वैल्यूएशन का असर भी देखने को मिलेगा।