Multibagger Stocks: कपड़े निर्यात करने वाली दिग्गज कंपनी गोकलदास एक्सपोर्ट्स (Gokaldas Exports) के शेयर कोरोना महामारी के दौरान फर्श पर आ गए थे। हालांकि फिर इसने तेज वापसी की और महज तीन साल में 1660 फीसदी रिटर्न दिया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में इसके कारोबार की हालत पतली रही और इसका असर शेयरों पर भी दिख रहा है। हालांकि इसके बावजूद घरेलू ब्रोकरेज फर्म ने इसकी खरीदारी की रेटिंग को बरकरार रखा है और टारगेट प्राइस भी बढ़ा दिया है। नए टारगेट के हिसाब से मौजूदा लेवल पर पैसे लगाकर 20 फीसदी मुनाफा कमा सकते हैं। आज इसके शेयर बीएसई पर 1.81 फीसदी की गिरावट के साथ 496.20 रुपये (Gokaldas Exports Share Price) पर बंद हुए हैं।
तीन साल में 17 गुना से अधिक बढ़ा दिया पैसा
गोकलदास एक्सपोर्ट्स के शेयर कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान 27 मई 2020 को 28.20 रुपये पर आ गए थे। हालांकि धीरे-धीरे इकॉनमी ने रिकवरी की और देखते-देखते इसका शेयर उड़ने लगा। सवा तीन साल में ही यह शेयर 17 गुना से अधिक उछलकर अब 495.90 पर है। पिछले एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो पिछले साल 19 सितंबर 2022 को यह एक साल के निचले स्तर 325.70 रुपये पर था। इसके बाद 10 महीने में ही यह 71 फीसदी से अधिक उछलकर 18 जुलाई 2023 को 558.05 रुपये की रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। हालांकि इस लेवल से अब तक यह 11 फीसदी से भी ज्यादा नीचे आ चुका है।
Gokaldas Exports में आगे क्या है रुझान
गोकलदास एक्सपोर्ट्स का कंसालिडेटेड EBITDA जून तिमाही में सालाना आधार पर 17 फीसदी गिरकर 60.2 करोड़ रुपये पर आ गया। इस दौरान इसका रेवेन्यू भी सालाना आधार पर 16 फीसदी गिरकर 500 करोड़ रुपये पर आ गया। मांग में सुस्ती और अमेरिकी मार्केट में इंवेंटरी लिक्विडेशन के चलते इसके रेवेन्यू पर असर पड़ा। हालांकि मैनेजमेंट ने इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अमेरिकी मांग के पटरी पर लौटने की मांग का अनुमान बरकरार रखा है क्योंकि इस साल के बसंत को लेकर रिटेलर्स नए ऑर्डर रखेंगे।
ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक सुस्त रेवेन्यू ग्रोथ के बावजूद गोकलदास एक्सपोर्ट्स ने लागत पर सख्त नियंत्रण बनाए रखा जिसके चलते इसका ग्रॉस मार्जिन 50 फीसदी और EBITDA मार्जिन 12 फीसदी रहा। आने वाली तिमाहियों में भी ऑपरेटिंग लीवरेज का फायदा मिलेगा और इसके चलते ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के EBITDA के अनुमान को 2-3 फीसदी बढ़ा दिया। इसके अलावा खरीदारी की रेटिंग को बरकरार रखते हुए टारगेट प्राइस भी 560 रुपये से बढ़ाकर 595 रुपये कर दिया है। इसमें निवेश को लेकर रिस्क की बात करें तो अमेरिका में सुस्ती लंबे समय तक रहती है तो इसके कारोबार को झटका लग सकता है।
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