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SBI म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया 250 रुपये का SIP, जननिवेश स्कीम से होगा लाखों छोटे निवेशकों को फायदा

एसबीआई म्यूचुअल फंड ने जननिवेश एसआईपी स्कीम लॉन्च की है, जिसका मकसद छोटे स्तर पर सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIPs) लॉन्च करना है, जो 250 रुपये से शुरू होगा। इस मौके पर सेबी की चेयरपर्सन माधुबी पुरी बुच ने कहा कि 250 रुपये का SIP उनका बेहद खास सपना रहा है। एसबीआई म्यूचुअल फंड को एसबीआई बैंक के साथ पार्टनरशिप में लॉन्च किया गया है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 17, 2025 पर 9:26 PM
SBI म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया 250 रुपये का SIP, जननिवेश स्कीम से होगा लाखों छोटे निवेशकों को फायदा
सेबी चीफ का कहना था कि इस तरह के निवेश लाखों भारतीय परिवारों के लिए संपत्ति के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

JanNivesh SIP scheme: एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) ने जननिवेश एसआईपी (JanNivesh SIP) स्कीम लॉन्च की है, जिसका मकसद छोटे स्तर पर सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIPs) लॉन्च करना है, जो 250 रुपये से शुरू होगा। इस मौके पर सेबी की चेयरपर्सन माधुबी पुरी बुच ने कहा कि 250 रुपये का SIP उनका बेहद खास सपना रहा है। एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) को एसबीआई बैंक के साथ पार्टनरशिप में लॉन्च किया गया है। बुच का यह भी कहना था कि इस तरह के निवेश लाखों भारतीय परिवारों के लिए संपत्ति के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने 22 जनवरी को कंसल्टेशन पेपर जारी किया था, जिसका मकसद लो-कॉस्ट SIP के लिए डिस्ट्रिब्यूटर्स को प्रोत्साहित करना था। कंसल्टेशन पेपर में म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को जागरूक करने और लॉन्ग टर्म निवेश को बढ़ावा देने के लिए 500 रुपये का इंसेंटिव देने का सुझाव भी दिया गया था।

सेबी चीफ ने इस पहल को बेहद खास बताते हुए कहा कि ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर विदेशी निवेशकों के लिए यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि हर महीने 250 रुपये (3 डॉलर) का निवेश किया जा सकता है। हालांकि, बुच का यह भी कहना था कि यह इसलिए मुमकिन हो पाया कि भारत का फाइनेंशियल इको-सिस्टम ने इस मॉडल को खड़ा करने के लिए मिलकर काम किया।

माइक्रो-एसआईपी लॉन्च करने में एक प्रमुख चुनौती इसे आर्थिक स्तर पर टिकाऊ बनाना है। बुच का कहना था कि बैंक और वित्तीय संस्थान पहले भी 100 और 500 रुपये के एसआईपी प्रोडक्ट पेश कर चुके हैं, लेकिन हाई ऑपरेशनल कॉस्ट की वजह से उनका ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा, 'इसे सफल बनाने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना था कि ब्रेक इवन अवधि दो या तीन साल के भीतर हो। हमें पता था अगर यह ज्यादा होगा, तो कोई भी सीईओ इसे आगे नहीं बढ़ाएगा।'

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