सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंडों को निर्देश दिया है कि अगर डिस्ट्रीब्यूटर्स न्यूनतम 10,000 रुपये का सब्सक्रिप्शन लेकर आते है, तो वे उन मामले में उन्हें ट्रांजैक्शन चार्ज का भुगतान नहीं करेंगे। अभी तक म्यूचुअल फंडों को नियमाकीय ढांचे के तहत इसकी इजाजत थी, लेकिन अब इसे तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है।
SEBI ने शुक्रवार को जारी एक सर्कुलर में कहा कि ऐसे मामलों में ट्रांजैक्शन चार्ज का भुगतान नहीं किया जा सकता, क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर्स को पहले से ही एसेट मैनेजमेंट कंपनियों से रेम्युनेरेशन यानी पारिश्रमिक मिलता है।
सर्कुलर में SEBI ने कहा कि इंडस्ट्री से मिली प्रतिक्रिया और व्यापक परामर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है। नियामक का मानना है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स, AMCs के एजेंट होने के नाते, पहले से ही AMCs से पारिश्रमिक पाने के हकदार हैं, इसलिए अलग से ट्रांजैक्शन चार्ज देने की जरूरत नहीं है।
रेगुलेटर ने कहा, "मास्टर सर्कुलर के पैराग्राफ 10.4.1.b और 10.5 में दिए गए चार्ज या कमीशन को समाप्त किया जाता है।" SEBI ने बताया कि यह फैसला मई 2023 में हुए पब्लिक कंसल्टेशन और जून 2024 में हुई इंडस्ट्री चर्चा के बाद लिया गया है।
SEBI ने साफ किया है कि यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू होगा। इससे म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की आय पर असर पड़ सकता है, वहीं AMCs के लिए यह अतिरिक्त लागत कम करने वाला कदम साबित हो सकता है।
SEBI के मास्टर सर्कुलर के पैराग्राफ 10.4.1.b के अनुसार, स्कीम आवेदन पत्र में यह खुलासा होना चाहिए था कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलने वाला अपफ्रंट कमीशन निवेशक सीधे अपनी सुविधा और सेवा के आकलन के आधार पर डिस्ट्रीब्यूटर को देगा।
वहीं पैराग्राफ 10.5 के तहत, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) डिस्ट्रीब्यूटर्स को मौजूदा निवेशकों से हर 10,000 रुपये का निवेश लाने पर डिस्ट्रीब्यूटर को ₹100 का ट्रांजैक्शन चार्ज दे सकती थीं। जबकि नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, ₹10,000 के निवेश पर ₹150 तक का ट्रांजैक्शन चार्ज देने की अनुमति थी।
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