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10 साल के औसत से अधिक हो गई Nifty 50 की वैल्यू, अब इन सेक्टर में बनेगा तगड़ा पैसा

जब किसी स्टॉक में पैसे लगाते हैं तो उसकी कारोबारी सेहत चेक करते हैं। हालांकि अगर कंपनी का कारोबारी प्रदर्शन अच्छा है और मुनाफा-रेवेन्यू बढ़ रहा है तो भी जरूरी नहीं है कि स्टॉक में निवेश करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि संभव है कि जितना भी पॉजिटिव हो, वह उसके शेयर भाव में शामिल हो चुका हो और इसका पता पीई से लगाया जाता है। यही चीज इंडेक्स में भी देखते हैं

अपडेटेड Sep 04, 2024 पर 3:30 PM
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मैक्वायरी ने पाया कि फाइनेंशियल्स, टेलीकॉम, ऑटो और मैटेरियल्स सेक्टर्स काफी आकर्षक हैं। वहीं स्टेपल्, यूटिलिटीज, हेल्थकेयर और इंडस्ट्रियल्स कम आकर्षक हैं।

पिछले कुछ महीने से भारतीय स्टॉक मार्केट में तेजी का रुझान है। एनालिस्ट्स के मुताबिक मार्केट की इस ताबड़तोड़ तेजी के चलते वैल्यूएशन काफी अधिक हो चुका है और वे महंगे हो चुके हैं। घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 की बात करें तो अभी यह एक साल के 21.05x के फारवर्ड प्राइस-टू-अर्निंग्स (PE) रेश्यो पर है। यह 5 साल के औसत 20x के काफी करीब है लेकिन ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक यह 10 साल के औसत 18.21 x से काफी ऊपर है। जब किसी स्टॉक में पैसे लगाते हैं तो उसकी कारोबारी सेहत चेक करते हैं। हालांकि अगर कंपनी का कारोबारी प्रदर्शन अच्छा है और मुनाफा-रेवेन्यू बढ़ रहा है तो भी जरूरी नहीं है कि स्टॉक में निवेश करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि संभव है कि जितना भी पॉजिटिव हो, वह उसके शेयर भाव में शामिल हो चुका हो और इसका पता पीई से लगाया जाता है। यही चीज इंडेक्स में भी देखते हैं।

किस तरीके से किया ब्रोकरेज ने कैलकुलेशन

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मैक्वायरी ने अपने हालिया नोट में भारत को लेकर स्ट्रैटेजी का खुलासा किया कि मार्केट की मौजूदा परिस्थितियों में किस सेक्टर में निवेश का अच्छा मौका दिख रहा है। इसके लिए ब्रोकरेज ने प्राइस-टू-अर्निंग्स ग्रोथ (PEG) रेश्यो के पैमाने की बजाय फारवर्ड प्राइस-टू-अर्निंग्स (P/E) रेश्योज की कंपोजिट स्कोर की तुलना की जिसमें ग्रोथ, RoE (रिटर्न ऑन इक्विटी) और शेयर को लेकर मोमेंटम से तुलना की।


निवेश के लिए ये सेक्टर हैं आकर्षक

इस एनालिसिस के आधार पर मैक्वायरी ने पाया कि फाइनेंशियल्स, टेलीकॉम, ऑटो और मैटेरियल्स सेक्टर्स काफी आकर्षक हैं। वहीं स्टेपल्, यूटिलिटीज, हेल्थकेयर और इंडस्ट्रियल्स कम आकर्षक हैं। ब्रोकरेज का फाइनेंशियल्स और मैटेरियल्स पर पॉजिटिव रुझान बना हुआ है तो दूसरी तरफ ब्रोकरेज ने सलाह दी है कि यूटिलिटीज और इंडस्ट्रियल्स में एक्सपोजर कम किया जाए।

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