Nifty Pharma Crashed: जेनेरिक ड्रग के निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ की आशंका ने फार्मा सेक्टर के शेयरों में बिकवाली का दबाव बढ़ा दिया। इस पर ऐसा दबाव बना कि फार्मा शेयरों को ट्रैक करने वाला निफ्टी इंडेक्स निफ्टी फार्मा करीब 7 फीसदी टूट गया। ग्लैंड फार्मा (Gland Pharma), डिविस लैब (Divi’s Lab) और लौरस लैब्स (Laurus Labs) जैस शेयरों में भारी बिकवाली के चलते निफ्टी फार्मा 6.99 फीसदी टूटकर 19,121.10 पर आ गया। ग्लैंड फार्मा, डिविस लैब और लौरस लैब्स के शेयर 11 फीसदी के करीब फिसले हैं। यह तेज गिरावट इस बात को लेकर आई है कि अमेरिका विदेशी फार्मा कंपनियों से खरीदारी, विशेष रूप से जेनेरिक दवाओं पर भारी रेसिप्रोकल टैक्स लगा सकता है। निफ्टी फार्मा पर 20 कंपनियां हैं और कोई भी ग्रीन नहीं है।
भारी रेसिप्रोकल टैक्स लगाने से क्या होगा?
अमेरिका अगर विदेशी फार्मा कंपनियों से खरीदारी पर भारी रेसिप्रोकल टैक्स लगाता है तो अमेरिका के लिए दवाईयां महंगी तो होंगी है, भारतीय कंपनियों पर भी इसका बड़ा असर दिखेगा। इसके चलते भारत की फार्मा कंपनियों को तगड़ा झटका लगेगा क्योंकि अभी वैश्विक जेनेरिक मार्केट में इनका दबदबा है। भारत की फार्मा कंपनियों के सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। टैरिफ लगने से कॉम्पटीशन प्रभावित होगा और सप्लाई चेन को झटका लगेगा, साथ ही नई फाइलिंग को मंजूरी मिलने में देरी हो सकती है।
भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए कितना अहम है अमेरिकी मार्केट
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर फार्मा कंपनियों को भारी टैरिफ से जूझना पड़ा तो उनके अमेरिकी कारोबार को झटका लग सकता है। उनके प्रॉफिट मार्जिन पर असर दिख सकता है। भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका कितना अहम है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वित्त वर्ष 2024 में भारत से 650 करोड़ डॉलर के फार्मा प्रोडक्ट्स का निर्यात हुआ था।