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Nifty IT Crashed: 10% टूटा Infosys, निफ्टी आईटी में 7% की भारी गिरावट, निवेशकों के नुकसान पर ट्रंप की दो टूक

Nifty IT Crashed: अमेरिकी टैरिफ की आंधी में दुनिया भर के मार्केट धड़ाम से गिर गए हैं। भारतीय मार्केट में भी हाहाकार मचा हुआ है। आईटी सेक्टर की कंपनियों को ट्रैक करने वाला निफ्टी आईटी आज बिकवाली के दबाव में करीब 7 फीसदी टूट गया। जानिए आईटी शेयरों में बिकवाली का दबाव क्यों है और स्टॉक मार्केट की वैश्विक गिरावट को लेकर ट्रंप का क्या कहना है?

अपडेटेड Apr 07, 2025 पर 11:52 AM
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अमेरिकी टैरिफ की आंधी में दुनिया भर के मार्केट धड़ाम से गिर गए हैं। हॉन्गकॉन्ग का हैंग सेंग (Hong Seng) और ताइवान का ताइवान वेटेड (Taiwan Weighted) करीब 10 फीसदी टूट गए हैं।

Nifty IT Crashed: आईटी सेक्टर की कंपनियों को ट्रैक करने वाला निफ्टी आईटी आज बिकवाली के दबाव में करीब 7 फीसदी टूट गया। छह महीने में यह करीब 20 फीसदी नीचे आ चुका है। अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी के चलते दुनिया भर के मार्केट धड़ाम से गिर गए हैं और इसकी आंच से घरेलू मार्केट भी बच नहीं सका है। भारत की दिग्गज आईटी कंपनियां रेवेन्यू के लिए अधिकतर अमेरिकी डील पर निर्भर हैं तो अमेरिकी टैरिफ के चलते इनके शेयर बुरी तरह टूटे हैं। इंफोसिस (Infosys), टीसीएस (TCS), और एचसीएल टेक (HCL Tech) की गिरावट इतनी तेज है कि आज ये घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 (Nifty 50) के टॉप लूजर्स हैं। मिडकैप टेक सर्विसेज कंपनियों एमफेसिस (Mphasis) और कोफोर्ज के शेयर 6-9 फीसदी तक टूट गए जबकि इंफोसिस के शेयर 10 फीसदी फिसले हैं।

इस कारण आई बिकवाली, ट्रंप की दो टूक

घरेलू आईटी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव सेल्स ग्रोथ में सुस्ती की आशंकाओं पर आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये आईटी कंपनियां रेवेन्यू को लेकर बड़े पैमाने पर अमेरिका पर ही निर्भर हैं। अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के चलते अब आशंका बनी है कि अमेरिकी क्लाइंट्स से डील पर झटका दिख सकता है। अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी पर सिर्फ भारतीय मार्केट ही नहीं बल्कि दुनिया भर के स्टॉक मार्केट में बिकवाली का भारी दबाव है, यहां तक कि अमेरिकी मार्केट भी ढह गया है। बिकवाली की इस आंधी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फिर कहा कि उन्हें मार्केट के नुकसान को लेकर चिंता नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह कुछ खराब नहीं करना चाहते हैं लेकिन कभी-कभी आपको कुछ ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है। अमेरिकी मार्केट की बात करें तो गिरावट के चलते मार्केट कैप से 6 ट्रिलियन यानी 6 लाख करोड़ डॉलर साफ हो गए हैं।


क्या कहना है ब्रोकरेजेज का?

अमेरिकी टैरिफ की आंधी में दुनिया भर के मार्केट धड़ाम से गिर गए हैं। हॉन्गकॉन्ग का हैंग सेंग (Hong Seng) और ताइवान का ताइवान वेटेड (Taiwan Weighted) करीब 10 फीसदी टूट गए हैं। मेनलैंड चाइना का CSI 300 इंडेक्स 6 फीसदी से अधिक नीचे आ गया। जापान का निक्केई इंडेक्स करीब 7 फीसदी और सिंगापुर का स्ट्रेट टाइम्स 7 फीसदी से अधिक टूट गया। अमेरिका में बात करें तो नास्डाक और एसएंडपी 500 करीब 6 फीसदी टूटकर बंद हुआ है। यूरोपीय मार्केट में बात करें तो यूके का एफटीएसई 100 इंडेक्स करीब 6 फीसदी, फ्रांस का सीएसी 40 इंडेक्स करीब 5 फीसदी और जर्मनी का डीएएक्स इंडेक्स करीब 5 फीसदी फिसल गया है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनले ने सुझाव दिया है कि वैश्विक स्तर पर मैक्रोइकनॉमिक शिफ्ट्स और तकनीकी बदलाव से घरेलू आईटी सेक्टर पर खतरा दिख रहा है। इससे वैल्यूएशन और रेवेन्यू ग्रोथ पर असर दिख सकता है।

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