Market Strategy: अमेरिकी फेड के फैसले के बाद वैश्विक मार्केट में जो हाहाकार मचा, उससे घरेलू मार्केट भी बच नहीं पाया और आज लगातार चौथे दिन ढह गया। सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) इन चार दिनों में 3 फीसदी से अधिक टूट गए। फार्मा को छोड़ निफ्टी के सभी सेक्टर्स के इंडेक्स लाल हैं और शुरुआत में निफ्टी एफएमसीजी भी फ्लैट ग्रीन था लेकिन यह भी फिसल गया। सबसे अधिक दबाव मेटल, बैंकिंग और ऑटो शेयरों ने बनाया हुआ है। वैश्विक मार्केट मे इस उथल-पुथल के बीच एक्सपर्ट्स ने निवेशकों को इंडेक्स की बजाय स्टॉक्स पर फोकस करने की सलाह दी है।
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
वेल्थमिल्स के इक्विटी मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट क्रांति बथिनी ने कहा कि मार्केट को सबसे अधिक झटका अमेरिकी फेड चेयरमैन के इस संकेत पर कि अगले सिर्फ दो बार यानी 0.50 फीसदी की कटौती हो सकती है, से लगा है। क्रांति के मुताबिक यह मार्केट की उम्मीदों के मुकाबले कम है। उन्होंने आगे कहा कि निचले स्तर पर खरीदारी से मार्केट संभल जा रहा है लेकिन अगर 24 हजार का लेवल टूटा तो निफ्टी में और कमजोरी दिख सकती है लेकिन उनका यह भी कहना है कि नियर से मीडियम टर्म में मार्केट को लेकर आउटलुक पॉजिटिव ही दिख रहा है। स्वातिस्क इंवेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीना के मुताबिक इस महीने निफ्टी के लिए 23,923 का लेवल सपोर्ट का काम कर रहा है और 200-डीएमए यानी डिस्प्लेस्ड मूविंग एवरेज 23800 के करीब है जो एक और अहम सपोर्ट लेवल है।
घरेलू स्टॉक मार्केट में पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से विदेशी निवेशकों ने काफी दबाव बनाया हुआ है। हालांकि जियोजीत के हेड इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट गौरंग शाह का मानना है कि अमेरिका में अब छुट्टियां आने वाली है तो इसकी रफ्तार सुस्त हो सकती है। लेकिन गौरंग का यह भी कहना है कि विदेशी निवेशक बिकवाली थाम भी लेते हैं तो वोलैटिलिटी को मापने वाला इंडेक्स बुधवार को 14.37 पर बंद हुआ जो परेशानी की बात बनी हुई है। गौरंग के मुताबिक इसे नीचे जाना चाहिए लेकिन आज की बात करें तो यह 14.46 पर है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि डॉलर इंडेक्स 108 के पार चला गया है और 10 साल की अवधि का बॉन्ड यील्ड भी 4.52 फीसदी पर चला गया है जो एफआईआई फंड फ्लो के नजरिए से निगेटिव है। हालांकि वीके विजयकुमार के मुताबिक ये अस्थायी ही हैं।
अब अगले साल डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद टैरिफ को लेकर वह क्या रुख अपनाते हैं, उससे फिर से स्ट्रैटेजी अपनानी होगी। अगर ट्रंप टैरिफ को लेकर मौजूदा रुख ही बनाए रखते हैं तो अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है क्योंकि लागत तेजी से बढ़ेगी जिसके चलते अमेरिकी फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल को अपनी मौद्रिक नीतियों के रुझान में बदलाव करना पड़ सकता है। पहले से ही फेडरल रिजर्व 2025 के लिए हाई इनफ्लेशन का अनुमान लगा रहा है, और सितंबर में अपने अनुमान को 2.1 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया था।
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