Nifty की वैल्यूएशन बीते 5-10 सालों में सबसे कम, अभी नहीं निवेश करेंगे तो आखिर कब करेंगे?

ओमनीसाइंस कैपिटल से चीफ इनवेस्टेंट स्ट्रेटेजिस्त और सीईओ विकास गुप्ता का कहना है कि बीते कई सालों के बाद निफ्टी की वैल्यूएशन काफी कम लेवल पर आ गई है। अभी निवेश करने पर स्टॉक्स से तब जोरदार कमाई होगी, जब अर्निंग्स फिर से बढ़ेगी

अपडेटेड Feb 17, 2025 पर 5:41 PM
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Nifty का करेंट पीई रेशियो करीब 20.5 गुना पर आ गया है। यह पिछले 5-10 सालों में निफ्टी के सबसे कम पीई रेशियो के करीब है।

निफ्टी की वैल्यूएशन 5-10 सालों में सबसे कम लेवल पर आ गई है। अगर कोविड को छोड़ दिया जाए तो लंबे समय बाद निफ्टी की वैल्यूएशन इस लेवल पर आई है। इसके अलावा मार्केट में कोई नहीं रिस्क नहीं दिखाई देता है। सिर्फ मार्केट सेंटिमेंट कमजोर है। ओमनीसाइंस कैपिटल से चीफ इनवेस्टेंट स्ट्रेटेजिस्त और सीईओ विकास गुप्ता ने बातें बताईं। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने स्टॉक मार्केट और इनवेस्टमेंट को लेकर कई अहम बातें बताईं।

FY26 की दूसरी छमाही में अर्निंग्स बढ़ेगी

गुप्ता का कहना है कि इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भी कंपनियों की अर्निंग्स (Corporate Earnings) कमजोर रह सकती है। हालांकि, उन्होंने FYH26 की दूसरी छमाही में अर्निंग्स में रिकवरी की उम्मीद जताई। उन्होंने बताया कि मार्केट में हालिया गिरावट में उन्होंने कहां निवेश किया। उन्होंने कहा, "हमने गिरावट के दौरान सबसे कम NPA, सबसे ज्यादा NIMs और RoE वाले स्टॉक्स में निवेश किया। इसके अलावा हमने पावर, हाउसिंग फाइनेंस, लॉजिस्टिक्स, कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग सेक्टर्स के स्टॉक्स में निवेश किया।"


निफ्टी कई साल बाद अट्रैक्टिव लेवल पर

क्या मार्केट का खराब वक्त बीत चुका है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अनिश्चितता पैदा करने वाली चीजों को हम पीछे छोड़ चुके हैं। बतौर निवेशक हमारा फोकस मार्केट में मौजूद मौकों पर होना चाहिए। अगर कोई हमसे यह पूछता है कि अभी खरीदने का मौका है या बेचने का तो मेरा जवाब यह होगा कि इस मार्केट में निवेश के शानदार मौके हैं। Nifty का करेंट पीई रेशियो करीब 20.5 गुना पर आ गया है। यह पिछले 5-10 सालों में निफ्टी के सबसे कम पीई रेशियो के करीब है। सिर्फ कोविड के दौरान निफ्टी का पीई 18.71 गुना पर आया था।

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इन वजहों से मार्केट में आएगी तेजी

उन्होंने कहा कि अगर पहले आई गिरावट से तुलना करें तो स्थिति काफी अलग है। बड़ी इकोनॉमी वाले देशों में इंडिया की जीडीपी ग्रोथ सबसे तेज है। इनफ्लेशन RBI के 4 फीसदी टारगेट के करीब आ गया है। इंडियन इकोनॉमी की सेहत काफी मजबूत है। बैंकों का एनपीए बीते दो दशक में सबसे कम है। कंपनियों की बैलेंसशीट स्ट्रॉन्ग है। ऐसे में कई सेक्टर में मौजूदा निवेश के मौकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान में रखना होगा कि बीते 5-10 सालों में मार्केट के फेवरिट रहे स्टॉक्स में करेक्शन आ सकता है।

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