Nifty फिलहाल 25000 के पार नहीं जाएगा, लेकिन कंजम्प्शन और फार्मा स्टॉक्स में कमाई के हैं मौके

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर मनीष सोंथालिया का कहना है कि जियोपॉलिटिकल टेंशन, अमेरिका में बढ़ती यील्ड और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को देखते हुए इंडियन मार्केट फिलहाल सीमित दायरे में बना रह सकता है

अपडेटेड Jun 04, 2025 पर 2:48 PM
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मनीष सोंथालिया ने कहा कि कंजम्प्शन, BFSI और फार्मास्युटिकल्स में पैसा बनेगा। इसकी वजह यह है कि इन सेक्टर्स में शेयरों की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव है।

निफ्टी के फिलहाल 25,000 को पार करने और 22,000 से नीचे जाने की उम्मीद नहीं है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर मनीष सोंथालिया ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने इनवेस्टमेंट और स्टॉक मार्केट्स को लेकर कई बातें बताईं। उन्होंने कहा कि जियोपॉलिटिकल टेंशन, अमेरिका में बढ़ती यील्ड और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को देखते हुए इंडियन मार्केट फिलहाल सीमित दायरे में बना रह सकता है। उन्होंने इस फाइनेंशियल की दूसरी तिमाही में अर्निंग्स ग्रोथ अच्छी रहने का अनुमान जताया।

इन सेक्टर्स में निवेश के मौके

सोंथालिया ने कहा कि कंजम्प्शन, BFSI और फार्मास्युटिकल्स में पैसा बनेगा। इसकी वजह यह है कि इन सेक्टर्स में शेयरों की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव है। साथ ही ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं हैं। GLP-1 और सेमाग्लुटाइड थैरेपी में इंडियन फॉर्मा कंपनियों के लिए बड़े मौके हैं। अमेरिकी डॉलर में कमजोरी जारी रहने की उम्मीद है। यह मेटल्स के लिए फायदेमंद होगा। इसका फायदा एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को मिलेगा। लंबी अवधि के लिहाज से इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) और सेमीकंडक्टर्स में भी संभावनाएं दिख रही हैं। लेकिन, दोनों सेक्टर में निवेश करने से पहले वैल्यूएशन की जांच जरूरी होगी।


डिफेंस शेयरों की वैल्यूएशन काफी ज्यादा

डिफेंस टेक्नोलॉजी स्टॉक्स के बारे में उन्होंने कहा कि हाल में आपरेशन सिंदूर के बाद डिफेंस शेयरों में तेजी दिखी है। लेकिन, इन शेयरों की वैल्यूएशन ज्यादा है। इन स्टॉक्स के लिए संभावनाएं अच्छी हैं, लेकिन अर्निंग्स बढ़ने के बाद ही मौजूदा वैल्यूएशन सही लगेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी जारी रहेगी। इसकी वजह अमेरिकी इकोनॉमी से जुड़ी प्रॉब्लम है। ऐसे में इनवेस्टर्स अमेरिकी डॉलर में निवेश घटाएंगे, जिसका फायदा इंडिया जैसे मार्केट्स को मिलेगा।

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इनवेस्टमेंट बड़ी थीम के रूप में उभर रहा

उन्होंने कहा कि इंडिया में ग्रोथ के ड्राइवर्स में बदलाव दिख रहा है। कंजम्प्शन धीरे-धीरे इनवेस्टमेंट्स से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है। यह बड़ी थीम बनता दिख रहा है। फिस्कल डिसिप्लीन की वजह से FY25 में फिस्कल डेफिसिट 4.8 फीसदी रहा, जबकि FY26 के लिए इसका टारगेट 4.5 फीसदी है। उन्होंने कहा कि ग्रोथ के लिहाज से फिस्कल डेफिसिट का बढ़ना पॉजिटिव है। इसका कम होना ठीक नहीं है। कोविड के बाद सरकार ने इनवेस्टमेंट पर फोकस बढ़ाया है। FY25 में कैपिटल एक्सपेंडिचर करीब 10 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

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