सेबी के नए सर्कुलर से Zerodha के Nithin Kamath परेशान, समझाया कैसे निवेशक से लेकर ब्रोकरेजेज की बढ़ेगी दिक्कत

बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में चार्जेज को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था जिससे ब्रोकरेजेज परेशान हैं। दिग्गज ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) का कहना है कि इसके चलते अब जीरो ब्रोकरेज का दौर जा सकता है। नितिन के मुताबिक सेबी के फैसले का असर निवेशकों से लेकर ब्रोकरेजेज पर भी पड़ सकता है। समझें कैसे

अपडेटेड Jul 04, 2024 पर 3:19 PM
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Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामत के मुताबिक सेबी के नए नियम का ब्रोकर्स, ट्रेडर्स और निवेशकों पर समान रूप से गहरा असर पड़ेगा।

बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में चार्जेज को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था जिससे ब्रोकरेजेज परेशान हैं। जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) का कहना है कि इसके चलते अब जीरो ब्रोकरेज का दौर जा सकता है। नितिन ने X (पूर्व नाम Twitter) पर कहा कि ब्रोकरेज अब जीरो ब्रोकरेज मॉडल पर फिर से विचार कर सकते हैं या फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के चार्जेज बढ़ सकते हैं। नितिन कामत ने लिखा है कि वर्ष 2015 में जब से जीरोधा ने इक्विटी डिलीवरी पर जीरो ब्रोकरेज की शुरुआत की है, इसकी भरपाई एफएंडओ ट्रेडिंग एक्टिविटी से होने वाले रेवेन्यू से की गई है। हालांकि अब सेबी के सर्कुलर के चलते इसमें बदलाव करना पड़ सकता है।

क्या है SEBI के सर्कुलर में

सेबी ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि स्टॉक एक्सचेंजों समेत सभी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस अपनी फी चार्जिंग प्रैक्टिसेज का सख्ती से पालन करें। सेबी का कहना है कि स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटर्स को अपने फीस स्ट्रक्चर को स्टैंडर्डाइज्ड करना चाहिए और इसे ट्रेडिंग वॉल्यूम से नहीं जोड़ना चाहिए। एक्सचेंजेज आमताौर पर उन ब्रोकर्स से कम फीस वसूलते हैं, जिस पर ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी अधिक होती है जिससे डेरिवेटिव्स जैसे सेगमेंट में ट्रेडिंग एक्टिविटी काफी बढ़ जाती है। इसी चार्जेज में डिफरेंस को लेकर सेबी ने सर्कुलर जारी किया है ताकि डेरिवेटिव मार्केट्स में खुदरा निवेशकों को नुकसान से बचाया जा सके।


कैसे पड़ेगा नए सर्कुलर का असर?

जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत के मुताबिक सेबी के नए नियम का ब्रोकर्स, ट्रेडर्स और निवेशकों पर समान रूप से गहरा असर पड़ेगा। नितिन ने कहा कि इससे एफएंडओ की ट्रेडिंग को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई। सबसे अहम ये है कि अभी तक जीरोधा इक्विटी डिलीवरी के लिए कोई चार्ज नहीं लेती थी, अब हो सकता है कि इसके लिए भी निवेशकों को ब्रोकरेज चार्जेज देने पड़ें या यह हो सकता है कि F&O के चार्जेज बढ़ जाएं।

अब ब्रोकरेजेज पर असर की बात करें तो नितिन कामत ने खुलासा किया कि ब्रोकर्स ने कितना टर्नओवर जेनेरट किया, इसके हिसाब से उनसे ट्रांजैक्शन फीस लिया जाता है। हर महीने के आखिरी में ब्रोकर्स को छूट मिलती है और यह ग्राहकों से लिए जाने वाले चार्जेज और एक्सचेंज के चार्जेज का फर्क होता है जो ब्रोकर्स के लिए रेवेन्यू का अहम स्रोत है। जीरोधा के लिए यह रेवेन्यू का करीब 10 फीसदी होता है तो बाकी कई ब्रोकर्स के लिए यह 10-50 फीसदी तक होता है। सेबी के नए सर्कुलर से ब्रोकरेजेज का यह रेवेन्यू सोर्स खत्म हो जाएगा। जीरोधा के लिए यह इस सोर्स से रेवेन्यू चार साल में 3 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी पर पहुंच गया क्योंकि ऑप्शंस टर्नओवर बढ़ा। अभी इस सोर्स के जरिए जो रेवेन्यू जीरोधा को मिलता है, उसमें से 90 फीसदी को ऑप्शंस ट्रेडिंग से ही मिलता है।

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First Published: Jul 04, 2024 3:19 PM

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