भारतीय बाजारों में किसी बड़ी गिरावट की डर नहीं, जारी रहेगा कंसोलीडेशन: कोटक इक्विटीज

कोटक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सेक्टरों के महंगे वैल्यूशन से बाजार के ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना कम दिख रही। भारतीय बाजार के लिए इस समय सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के फैक्टर देखने को मिल रहे हैं। जिसके चलते अगले कुछ महीनों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों फैक्टर एक दूसरे के असर को बेअसर करते दिख सकते हैं। जिससे भारतीय बाजार में कंसोलीडेशन देखने को मिल सकता है

अपडेटेड Aug 16, 2023 पर 5:50 PM
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कोटक का कहना है कि भारतीय बाजार को अगली दो-तीन तिमाहियों में ग्लोबल मार्केट में ब्याज दरों में स्थिरता से सपोर्ट मिल सकता है। अमेरिका के साथ-साथ दूसरी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की रिटेल महंगाई में आई भारी कमी के चलते ब्याज दरों में बढ़त अब थमती दिख सकती है

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि हालिया तेजी के बाद भारतीय बाजारों में किसी बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। हालांकि निकट की अवधि में बाजार में कंसोलीडेशन देखने को मिल सकता है। कोटक ने बाजार पर जारी अपने हालिया नोट में कहा है कि मजबूत मार्को इकोनॉमिक आउटलुक, खपत वाले सेक्टर में सुधार और भारत की मजबूत ग्रोथ स्टोरी को देखते हुए घरेलू बाजारों में मंदी की कोई संभावना नहीं है।

महंगे वैल्यूशन से बाजार के ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना कम

कोटक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सेक्टरों के महंगे वैल्यूशन से बाजार के ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना कम दिख रही। भारतीय बाजार के लिए इस समय सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के फैक्टर देखने को मिल रहे हैं। जिसके चलते अगले कुछ महीनों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों फैक्टर एक दूसरे के असर को न्यूट्रल करते दिख सकते हैं। जिससे भारतीय बाजार में कंसोलीडेशन देखने को मिल सकता।


एक तरफ तो लगभग सभी सेक्टरों का महंगा हो चुका वैल्यूएशन बाजार की तेजी पर लगाम लगा सकता है तो दूसरी तरफ ग्लोबल बाजारों में ब्याज दरों में आ रही स्थिरता, मजबूत मैक्रो इकोनॉमिक कंडीशन, कंपनियों के मुनाफे में मजबूती और मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत ग्रोथ स्टोरी जैसे फैक्टर बाजार को सपोर्ट करते दिखेंगे। जिससे बाजार में कोई बड़ी गिरावट नहीं आ पाएगी।

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है महंगाई, चालू खाते के घाटे(CAD) और भुगतान संतुलन (BoP) को मैनेज किया जा सकता है। लेकिन खाने-पीने की चीजों और कच्चे तेल में कोई अप्रत्याशित महंगाई सारा खेल बिगड़ सकती है। वास्तव में पिछले कुछ हफ्तों के दौरान इन दोनों की कीमतों में काफी तेजी देखने को मिली है। उपभोग मांग में सुस्ती बनी हुई है जबकि निवेश मांग स्थिर है।

कोटक का कहना है कि भारतीय बाजार को अगली दो-तीन तिमाहियों में ग्लोबल मार्केट में ब्याज दरों में स्थिरता से सपोर्ट मिल सकता है। अमेरिका के साथ-साथ दूसरी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की रिटेल महंगाई में आई भारी कमी के चलते ब्याज दरों में बढ़त अब थमती दिख सकती है। इसके अलावा अगली दो-चार तिमाहियों में ग्लोबल बांड यील्ड में भी गिरावट देखने को मिल सकती है।

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वित्त वर्ष 2024 में निफ्टी-50 इंडेक्स के नेट प्रॉफिट में 16% बढ़त की उम्मीद

बाजार की आगे की दशा और दिशा पर बात करते हुए कोटक का अनुमान है कि निफ्टी-50 इंडेक्स के नेट प्रॉफिट में वित्त वर्ष 2024 में 16 फीसदी और वित्त वर्ष 2025 में 13 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। हालांकि, कोटक ने सचेत किया है कि बाज़ार के सकारात्मक दिखने के बावजूद किसी अप्रत्याशित खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है। भारतीय बाजार के वैल्यूशन में शॉर्ट और मीडियम टर्म के एडवांटेज को तो शामिल किया गया है। लेकिन अहम सेक्टरों और शेयरों से जुड़ी शॉर्ट टर्म चुनौतियों का ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में अगर कोई अप्रत्याशित घटना होती है तो बाजार में भारी गिरावट आ सकती है।

 

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