नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) सितंबर से स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होने वाले स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (SMEs) के लिए नियमों को और कड़ा करेगा। NSE ने कहा है कि केवल उन्हीं कंपनियों को SME सेगमेंट में लिस्ट होने की इजाजत दी जाएगी, जिनके पास आवेदन से पहले के तीन वित्त वर्षों में से कम से कम दो के लिए पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो टू इक्विटी (FCFE) होगी।
FCFE उस नकदी की राशि को दर्शाता है, जो एक कारोबार जनरेट करता है और जो शेयरधारकों के बीच बांटे जाने के लिए उपलब्ध है। एक्सचेंज की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है, "यह अतिरिक्त क्राइटेरिया 1 सितंबर 2024 को या उसके बाद फाइल सभी DRHPs के लिए लागू होगा। अन्य सभी क्राइटेरिया अपरिवर्तित रहेंगे। यह अगले आदेश तक लागू रहेगा।"
हाल ही में प्राइस मूवमेंट पर लागू हुई थी लिमिट
एक्सचेंज ने हाल ही में SME IPO के लिस्टिंग के दिन प्राइस मूवमेंट पर 90 प्रतिशत की सीमा लागू की थी।NSE ने 4 जुलाई को जारी एक सर्कुलर में कहा था, "SME प्लेटफॉर्म के IPO के लिए विशेष प्री-ओपन सेशन के दौरान एक्सचेंजों में ओपनिंग प्राइस डिस्कवरी/इक्वलीब्रियम प्राइस को स्टैंडर्डाइज करने के लिए, SME IPOs के लिए इश्यू प्राइस पर 90% तक की कुल सीमा तय करने का फैसला लिया गया है।"
SME IPO सेगमेंट असामान्य रूप से उच्च स्तर के सब्सक्रिप्शन और उसके बाद होने वाले लिस्टिंग गेन के लिए चर्चा में रहा है। इस साल कुछ SME IPO ऐसे रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक को 1,000 गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया और कई को सौ गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया। इस तरह के ओवरसब्सक्रिप्शन के बाद अक्सर शेयर की कीमत में लिस्टिंग के दिन भारी वृद्धि होती है, जिसमें कई SME स्टॉक पहले दिन ही दोगुने से अधिक हो जाते हैं। इसने इस सेगमेंट में हेरफेर और धोखाधड़ी की चिंताएं पैदा की थीं।