रूसी आक्रामकता को बुल्स ने दी मात, पुतिन नहीं, पॉवेल बाजार को कर रहे परेशान

जब व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में अपने सैन्य अभियान की शुरुआत की थी तो जियो पोलिटिकल विश्लेषकों के बीच बहस का मुख्य बिंदु यह था कि क्या कीव तीन या चार दिनों में आत्मसमर्पण करेगा। लेकिन युद्ध के शुरुआत से अब तक रूसी वॉर मशीन को भारी नुकसान हुआ है। संघर्ष का कोई अंत भी नहीं दिखाई दे रहा है

अपडेटेड Feb 23, 2023 पर 7:42 PM
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अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि यूएसफेड अपने महंगाई के लक्ष्य को हसिल करने के लिए ब्याज दरों में और बढ़ोत्तरी कर सकता है। यही बात बजार को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है

ABHISHEK MUKHERJEE

1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण करके दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत कर दी थी। पोलैंड पर जर्मनी का आक्रण शुरू होते ही डॉओ जोन्स इंडेक्स में कारोबारी दिन के पहले सत्र में 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली। ये अपने में एक अपवाद ही है।

आमतौर पर तेजड़ियो और मंदड़ियों के बीच शाश्वत संघर्ष का अखाड़ा होने के बावजूद शेयर बाजारों ने अक्सर किसी जियोपोलिटिकल उथल-पुथल के दौरान किसी संत जैसी शांति और स्थिरता ही दिखाई है।


क्या कहते हैं आंकड़े

LPL रिसर्च के आंकड़ों के मुताबित खाड़ी युद्ध, इराक युद्ध और 9/11 सहित 16 प्रमुख जियोपोलिटिकल उथल-पुथल के दौरान डॉओ जोन्स इंडेक्स में औसतन केवल 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। द्वितीय विश्व युद्ध अब तक की 20 प्रमुख जियोपोलिटिकल घटनाओं के विश्लेषण से पता चलता है कि इक्विटी मार्केट ने औसतन 47 कारोबारी दिनों में अपने नुकसान की पूरी तरह से भरपाई कर ली है।

जाने-माने फाइनेंसर नाथन मेयर रोथ्सचाइल्ड (Nathan Mayer Rothschild) का एक जाना-माना कथन है, "तोपों की आवाज़ पर खरीदें, बिगुल की आवाज़ पर बेचें।" वॉल स्ट्रीट के पास भी इसी तरह की अपनी एक कहावत है, "अफवाह बेचो, न्यूज खरीदो"। रूस-यूक्रेन युद्ध ने इन कहावतों की सच्चाई को एकदम सटीक तरीके से प्रदर्शित किया है।

24 फरवरी, 2022 को शुरू हुआ था  रूस-यूक्रेन युद्ध

फरवरी 2022 के दूसरे पखवाडे़ से ही ग्लोबल मार्केट में रूस-यूक्रेन युद्ध की गर्मी महसूस होनी शुरू हो गई थी। वाशिंगटन और ब्रुसेल्स की तरफ से चेतावनियां जारी होने के बावजूद रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपनी सेनाएं जमा करनी शुरू कर दी थी। 24 फरवरी, 2022 को सुबह-सुबह, रूसी सेना ने यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू कर दिया जिसने यूरोप को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े संकट में डाल दिया।

24 फरवरी, 2022 को रूसी बाजार 33 फीसदी टूट गया। जबकि तुर्की के बाजार में 8.17 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। वहीं, निफ्टी 4.78 फीसदी की गिरावट के साथ तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करना वाला इंडेक्स बना। 4 मई, 2020 के बाद की यह निफ्टी की एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी।

शुरुआती गिरावट के बाद हुई तेज रिकवरी

हालांकि, शुरुआती घबराहट के थमने के साथ ही स्टॉक मार्केट ने तुरंत ऊपर की ओर रुख कर लिया। 7 मार्च, 2022 को 15863 के निचले स्तर तक लुढ़कने के बाद निफ्टी ने केवल 8 कारोबारी सत्रों में फिर से 17000 के क्लोजिंग मार्क को हासिल कर लिया। 2022 की दूसरी छमाही में सेंसेक्स और निफ्टी अपना ऑल टाइम हाई लगाते दिखे। भारत का वोलैटिलिटी मापने वाला सूचकांक India VIX जो रूस के आक्रमण के साथ ही 31.98 को स्तर पर चला गया था, अगले ही कारोबारी सत्र में ठंड़ा पड़ गया। उसके बाद से ही ये निचले स्तरों पर बना हुआ है।

 एफआईआई की बिकवाली बनी सबसे बड़ी चिंता

दलाल स्ट्रीट के लिए सबसे बड़ी चिंता एफआईआई की तरफ से भरतीय इक्विटी मार्केट में हो रही बिकवाली थी। जियो पोलिटिकल तनाव के बढ़ने को साथ उभरते बाजारों से विदेशी पूंजी का निकलना शुरू हो गया था। वास्तव में विदेशी निवेशक अक्टूबर 2021 से ही बिकवाली कर रहे थे। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ने के साथ ही ये निकासी तेज हो गई। देश के डॉलर की भारी निकासी के साथ ही रुपया भी औंधे मुंह गिर गया। रुपए को सहारा देने के लिए आरबीआई को आगे आना पड़ा।

एफआईआई की बिकवाली थमने के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया भी 83 के निचले स्तरों से काफी सुधर गया है। वहीं, घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स अपने अधिकांश ग्लोबल पीयर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते दिखे हैं।

बाजार को पुतिन की तुलना में जेरोम पॉवेल ने किया ज्यादा परेशान

यह ध्यान देने की बात है कि बेंचमार्क सूचकांकों ने अपना 52-वीक लो तब नहीं छुआ जब रूस यूक्रेन पर मिसाइलों की बारिश कर रहा था। बल्कि ये स्थिति तब बनी जब यूएस फेडरल रिजर्व के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने महंगाई के खिलाफ अपने युद्ध में ब्याज दरों में 75-बेस प्वाइंट की बढ़ोतरी करने पैरवी शुरू की।

अमेरिका में अभी और बढ़ेंगी ब्याज दरें

चार दशकों से भी ज्यादा की अवधि में मौद्रिक नीति में अब तक की सबसे ज्यादा सख्ती दिखाते हुए पॉवेल ने बढ़ती महंगाई को कम करने के प्रयास में ब्याज दरों को लगभग जीरो से बढ़ाकर 4.50-4.75 फीसदी कर दिया। अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि यूएसफेड अपने महंगाई के लक्ष्य को हसिल करने के लिए ब्याज दरों में और बढ़ोत्तरी कर सकता है। यही बात बजार को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।

रूस-यूक्रेन युद्ध बाजार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा नहीं

अधिकांश ब्रोकरेज ने रूस-यूक्रेन युद्ध को ग्लोबल फूड और एनर्जी सिक्योरिटी के लिए एक बड़े संकट के रूप में चिह्नित किया है। लेकिन शेयर बाजार की दिशा तय करने में ये कोई बड़ा बाधा नहीं माना जा रहा है।

Taking stock: बाजार लगातार 5वें दिन गिरावट पर बंद, जानिए 24 फरवरी को कैसी रह सकती है इसकी चाल

जब व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में अपने सैन्य अभियान की शुरुआत की थी तो जियो पोलिटिकल विश्लेषकों के बीच बहस का मुख्य बिंदु यह था कि क्या कीव तीन या चार दिनों में आत्मसमर्पण करेगा। लेकिन युद्ध के शुरुआत से अब तक रूसी वॉर मशीन को भारी नुकसान हुआ है। संघर्ष का कोई अंत भी नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसे में विश्लेषक अब परमाणु हमले की अब तक की अकल्पनीय संभावना सहित पुतिन की अगली कार्रवाई का अंदाजा लगा रहे हैं।

अपने पेशे के प्रति जबरदस्त प्रतिबद्धता दिखाते करते हुए, कनाडा के एक फंड मैनेजर ने पिछले साल अपने ग्राहकों से आग्रह किया था "महायुद्ध के जोखिम" के बावजूद स्टॉक खरीदना जारी रखे क्योंकि अगर कोई पूर्ण परमाणु युद्ध होता है, तो हमारे लिए खोने के लिए बचेगा ही क्या? लेकिन अगर इतिहास से सबक लें तो कह सकते हैं कि पुतिन नहीं, ये पॉवेल हैं जो बाजार में लोगों के भाग्य का फैसला करेंगे।

MoneyControl News

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First Published: Feb 23, 2023 7:34 PM

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