OYO ने विवादित 6,000:1 बोनस शेयर प्लान किया रद्द, निवेशकों के विरोध के बाद लिया फैसला

ओयो (OYO) की पैरेंट कंपनी PRISM ने अपनी विवादित 6,000:1 बोनस शेयर योजना को निवेशकों के कड़े विरोध के बाद वापस ले लिया है। कंपनी ने कहा है कि अब वह सभी शेयरधारकों को शामिल करते हुए एक नई और आसान बोनस शेयर योजना लेकर आएगी

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 8:51 PM
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PRISM की पिछली योजना बेहद जटिल थी और कंपनी के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) से जुड़ी हुई थी

ओयो (OYO) की पैरेंट कंपनी PRISM ने अपनी विवादित 6,000:1 बोनस शेयर योजना को निवेशकों के कड़े विरोध के बाद वापस ले लिया है। कंपनी ने कहा है कि अब वह सभी शेयरधारकों को शामिल करते हुए एक नई और आसान बोनस शेयर योजना लेकर आएगी।

क्या थी पुरानी बोनस शेयर योजना?

PRISM की पिछली योजना बेहद जटिल थी और कंपनी के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) से जुड़ी हुई थी। इस योजना के तहत, शेयरधारकों को हर 6,000 इक्विटी शेयर पर 1 बोनस कंप्लसरी कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर (CCPS) दिया जाना था। जिन निवेशकों के पास 6,000 से कम शेयर थे, उन्हें कोई बोनस नहीं मिलता। ये योजना दो वर्गों में बंटी थी- Class A और Class B।

Class A:


जिन निवेशकों ने कोई आवेदन नहीं किया, उनके प्रत्येक CCPS को 1 इक्विटी शेयर में बदला जाता। यानी हर 6,000 शेयर पर केवल 1 बोनस शेयर।

Class B:

जिन निवेशकों ने तय समयसीमा में आवेदन किया, उन्हें IPO से जुड़ी शर्तों के आधार पर 1 CCPS पर 1,109 इक्विटी शेयर तक मिल सकते थे। बशर्ते कि कंपनी मार्च 2026 से पहले मर्चेंट बैंकर नियुक्त कर दे। अगर यह लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो प्रत्येक CCPS की कीमत मात्र 0.10 शेयर रह जाती।

कंपनी की मंशा क्या थी?

कंपनी का कहना था कि यह योजना IPO से पहले लंबे समय से निवेशित शेयरधारकों को रिवॉर्ड करने के लिए थी। OYO के मुताबिक, इसका मकसद मालिकाना ढांचे में बदलाव नहीं, बल्कि लॉयल निवेशकों के लिए एक गुडविल गेस्चर था।

निवेशकों का विरोध क्यों हुआ?

निवेशकों ने योजना की जटिल प्रक्रिया, सीमित समयसीमा और एलिजिबिलिटी शर्तों को लेकर कड़ा विरोध किया। पहले सिर्फ तीन दिन की विंडो दी गई थी, जिसे बाद में कंपनी ने बढ़ाकर 7 नवंबर 2025, शाम 6 बजे तक कर दिया। कंपनी ने क्लाइंट मास्टर लिस्ट (CML) जमा करने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी और निवेशकों के लिए सपोर्ट चैनल खोला।

हालांकि, केवल इक्विटी शेयरधारक इस योजना के पात्र थे, जिससे रितेश अग्रवाल और सॉफ्टबैंक विजिन फंड जैसे बड़े निवेशक, जो प्रेफरेंस शेयर होल्डर हैं, इस बोनस से बाहर रह जाते।

क्यों उठा विवाद?

कॉरपोरेट गवर्नेंस और माइनॉरिटी निवेशकों ने कहा कि यह योजना असमान और भ्रमित करने वाली है। बड़े निवेशक Class B में आसानी से भाग ले सकते थे, जबकि छोटे निवेशकों के लिए प्रक्रिया बेहद कठिन थी।

इससे एक्सेस-बेस्ड वैल्यू गैप बनता, यानी जिनके पास संसाधन हैं उन्हें अधिक फायदा और छोटे निवेशकों को नुकसान होने की संभावना था। उदाहरण के लिए, अगर किसी निवेशक के पास 3 लाख शेयर हैं तो Class A में उसे केवल 50 नए शेयर (लगभग 1,300 मूल्य) मिलते।

वहीं, Class B में वही निवेशक 55,450 शेयर (करीब 14.4 लाख रुपये) कमा सकता था, अगर IPO शर्तें पूरी होतीं।

प्रमोटर्स पर असर

ओयो के फाउंडर रितेश अग्रवाल की सीधी हिस्सेदारी 29.65% है, जबकि उनकी व्यक्तिगत निवेश इकाई RA Hospitality Holdings (Cayman) के पास 34.9% हिस्सेदारी है। पहले इस स्कीम के ऐलान के बाद माना गया था कि अगर IPO की शर्तें पूरी होतीं हैं तो प्रमोटर ग्रुप को भारी लाभ होता। लेकिन बाद में कंपनी ने साफ किया कि इस स्कीम में प्रेफरेंस शेयरधारक योग्य नहीं हैं, जिससे प्रमोटर ग्रुप का संभावित फायदा सीमित हो गया।

PRISM का नया फैसला

मनीकंट्रोल के साथ साझा किए गए एक बयान में PRISM ने कहा, “हम मौजूदा प्रस्ताव को वापस ले रहे हैं और जल्द ही एक नया, सरल और एकीकृत बोनस शेयर स्ट्रक्चर लेकर आएंगे जो इक्विटी और प्रेफरेंस सभी शेयरधारकों को शामिल करेगा।” कंपनी ने बताया कि नए प्रस्ताव में किसी आवेदन प्रक्रिया की जरूरत नहीं रखेगा, और सभी निवेशकों को स्वचालित रूप से लाभ मिलेगा।

PRISM के प्रवक्ता ने कहा, “यह फैसला हमारे गवर्नेंस-फर्स्ट एप्रोच और सभी शेयरधारकों के लिए निष्पक्षता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। हर निवेशक को OYO की अगली ग्रोथ स्टोरी में बराबरी का अवसर मिलना चाहिए।”

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