पेज इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की चौथी तिमाही में अच्छा रहा है। कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ साल दर साल आधार पर 10.6 फीसदी बढ़ी। इसमें वॉल्यूम में 8.6 फीसदी ग्रोथ का बड़ा हाथ है। इनरवियर, किड्सवियर सहित हर सेगमेंट में वॉल्यूम में इजाफा देखने को मिला। खास बात यह है कि प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाए बगैर यह ग्रोथ आई। कंपनी को फेवरेबल प्रोडक्ट्स मिक्स का फायदा मिला। रेवेन्यू में प्रीमियम प्रोडक्ट्स और डी2सी चैनल का बड़ा योगदान रहा।
Page Industries के लिए बड़ा चैलेंज इस ग्रोथ को बनाए रखने का है। कंपनी का EBITDA 43.1 फीसदी बढ़कर 235 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। मार्जिन साल दर साल आधार पर 490 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कप 21.4 फीसदी रहा। इसमें रॉ मैटेरियल की कीमतों में स्थिरता का योगदान है। खासकर कॉटन और एलास्टीन की कीमतों में स्थिरता रही। कंपनी को मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ने का भी फायदा मिला। पेज इंडस्ट्रीज का फोकस प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर रहता है। कंपनी Jockey ब्रांड नाम से प्रोडक्ट्स बेचती है।
FY25 में टैक्स बाद प्रॉपिट 729 करोड़ रुपये
अगर पूरे फाइनेंशियल ईयर (2024-25) की बात की जाए तो रेवेन्यू 8 फीसदी बढ़कर 4,935 करोड़ रुपये पहुंच गया। प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स (PAT) 28 फीसदी बढ़कर 729 करोड़ रुपये रहा। वॉल्यूम साल दर साल आधार पर 5.5 फीसदी बढ़कर 21.96 करोड़ पीस पहुंच गया। ऑटो रिप्लेनिशमेंट सिस्टम (ARS) अब ठीक से काम करने लगा है। इससे कंपनी ने पुरानी इनवेंट्री क्लियर कर दी है। इनवेंट्री डेज 94 से घटकर 64 पर आ गए हैं। वर्किंग कैपिटल डेज घटकर 54 पर आ गया है। इससे लिक्विडिटी और एफिशियंसी बढ़ी है।
कंपनी का FY26 में 180 करोड़ रुपये निवेश का प्लान
Page Industries के मैनेजमेंट ने FY26 में EBITDA मार्जिन 19-21 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया है। इससे पता चलता है कि कंपनी का फोकस मुनाफा बढ़ाने और नए निवेश पर है। कंपनी ने FY26 में 180 करोड़ रुपये इनवेस्ट करने का प्लान बनाया है। इसका ज्यादा हिस्सा ओडिशा में प्लांट लगाने पर खर्च हो रहा है। इस प्लांट में जून में प्रोडक्शन शुरू हो जाने की उम्मीद है। प्रोडक्शन स्टैबलाइज होने में 6-7 महीनों का समय लग सकता है। कंपनी को ओडिशा में प्लांट लगाने से पावर पर सब्सिडी और जीएसटी आदि में फायदा होगा।
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क्या शेयरों की वैल्यूएशन ज्यादा है?
Page Industries के शेयरों में FY27 में अनुमानित 817 रुपये के ईपीएस के 57 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह महंगा लगता है। लेकिन, शेयरों के स्ट्रॉन्ग रिटर्न रेशियो, कर्ज का कोई बोझ नहीं और स्ट्रॉन्ग कनवर्ज को देखते हुए यह ज्यादा नहीं लगता। इसके अलावा जॉकी का ब्रांड काफी स्ट्रॉन्ग है, जिससे कंपनी के पास कीमतों में इजाफा करने की गुंजाइश रहती है। इनफ्लेशन अब कंट्रोल में आ चुका है। सरकार के 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर कर देने से लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचने की उम्मीद है। इससे कंपनी के प्रोडक्ट्स की डिमांड स्ट्रॉन्ग बने रहने की उम्मीद है।