फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की दूसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजे (Corporates results) उम्मीद से बेहतर रहे हैं। खासकर कंजम्प्शन (Consumptions) से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इनमें अपैरल्स, ट्रेवल एंड टूरिज्म, ज्वेलरी, मॉल, रिटेल और प्राइवेट व्हीकल्स शामिल हैं। यह कहना है PNB Metlife के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर संजय कुमार का। उन्हें फाइनेंशियल मार्केट्स का दो दशका का अनुभव है। मनीकंट्रोल से बातचीत में उन्होंने इकोनॉमी (Economy) और निवेश (Investment) से जुड़े कई मसलों पर चर्चा की।
बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर में बहुत अच्छी संभावनाएं
कुमार ने कहा कि कंपनियों के मैनेजमेंट की कमेंट्री स्ट्रॉन्ग रही है। डिमांड और मार्जिन के लिहाज से भी तस्वीर बेहतर होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर में बहुत अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। पीएसयू बैंकों के लिए ऑपरेटिंग इनवायरमेंट बहुत पॉजिटिव है। लोन की ग्रोथ बहुत अच्छी दिख रही है। मार्जिन बढ़ा है, ऑपरेटिंग एक्सपेंसेज नियंत्रण में हैं। क्रेडिट कॉस्ट में भी कमी आई है।
पीएनबी मेटलाइफ के सीआईओ ने कहा कि लोक रिकवरी अच्छी रहने से बैकों में स्लिपेज में कमी आई है। इससे एसेट क्वालिटी रेशियो में सुधार है। इन सभी वजहों से बैंकों के मुनाफा कमाने की क्षमता बढ़ी है। इसका असर सरकारी बैंकों के शेयरों पर दिखा है। पिछले कुछ समय से पीएसयू बैंकों के शेयरों में तेजी दिख रही है।
निर्यात आधारित कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर
उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। बैंक, ऑटोमोबाइल और आईटी सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा रहा है। हालांकि, एनर्जी, मेटल सहित कुछ सेक्टर का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है। उन कंपनियों का परफॉर्मेंस अच्छा रहा है, जो घरेलू खपत से जुड़ी हैं। एक्सपोर्ट से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन उतना बेहतर नहीं रहा है। उनके प्रदर्शन पर ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती और मौद्रिक सख्ती का असर दिख रहा है। हालांकि, अपैरल्स, ट्रेवल एंड टूरिज्म, ज्वेलरी, मॉल, रिटेल और प्राइवेट व्हीकल ने उम्मीद जगाई है।
शेयर बाजार पर पड़ेगा इन बातों का असर
आने वाले महीनों में शेयर बाजार पर किन बातों का असर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि कंपनियों के प्रॉफिट, इनफ्लेशन और विदेशी निवेशकों की खरीदारी आने वाले महीनों में शेयर बाजार का मूड तय करेंगे। कमोडिटी की कीमतों की कमी आ रही है। इससे दूसरे सेक्टर की कंपनियों के प्रॉफिट में भी अच्छी ग्रोथ दिख सकती है। बाजार की नजरें इनफ्लेशन पर लगी हैं। अगर इसमें कमी आती है तो इंटरेस्ट रेट को लेकर RBI के रुख में नरमी आ सकती है। इसका असर कंपनियों की वैल्यूएशन पर भी पड़ेगा।
इनफ्लेशन पर RBI का फोकस बना रहेगा
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। जियोपॉलिटिकल हालात अनिश्चित दिख रहे हैं। उधर, ग्लोबल इकोनॉमी को लेकर भी तस्वीर अच्छी नहीं दिख रही है। इसका असर मनी के फ्लो पर पड़ेगा। पिछले कुछ महीनों में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी कई बार कह चुकी है कि इनफ्लेशन को टारगेट रेंज के बीच यानी 4 फीसदी पर लाना जरूरी है।