PSU Market Cap Falls: सरकारी कंपनियों के दबदबे में भारी गिरावट, 11 महीने के निचले स्तर पर आई भारतीय स्टॉक मार्केट में हिस्सेदारी

PSU Market Cap Falls: बिकवाली के मौजूदा माहौल में लिस्टेड पीएसयू कंपनियों में से कुछ शेयर तो एक साल के हाई से 50 फीसदी से अधिक टूट चुके हैं। इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 रिकॉर्ड हाई से 10-10 फीसदी से अधिक टूटे हैं लेकिन बीएसयू पीएसयू इंडेक्स की बात करें तो रिकॉर्ड हाई से यह 17.5 फीसदी गिर चुका है

अपडेटेड Nov 18, 2024 पर 2:33 PM
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PSU Market Cap Falls: पिछले महीने से विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली चल रही है और इसके झटके से पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के शेयर कांप गए हैं।

PSU Market Cap Falls: पिछले महीने से विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली चल रही है और इसके झटके से पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के शेयर कांप गए हैं। इस गिरावट के चलते इन कंपनियों की देश के टोटल मार्केट कैप में हिस्सेदारी 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। फिलहाल टोटल मार्केट कैप में पीएसयू कंपनियों की हिस्सेदारी 15.34 फीसदी रह गई है जो दिसंबर 2023 के बाद से सबसे कम है। मई में इनकी हिस्सेदारी 17.77 फीसदी पर पहुंच गई थी जो सात साल का रिकॉर्ड हाई था। फिलहाल 103 पीएसयू कंपनियों का मार्केट कैप 66.06 लाख करोड़ रुपये है। जुलाई महीने में यह 81.38 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर था यानी कि इनकी पूंजी 15.4 लाख करोड़ रुपये घट गई है।

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5 स्टॉक्स में 50% से अधिक गिरावट


बिकवाली के इस माहौल में 103 लिस्टेड पीएसयू कंपनियों में से 5 के शेयर तो एक साल के हाई से 50 फीसदी से अधिक टूट चुके हैं। वहीं 21 में 40-49 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा 40 कंपनियों के शेयर 30-40 फीसदी और 24 में 20-30 फीसदी की गिरावट आई है। सिर्फ 13 कंपनियों के शेयरों में ही 5-20 फीसदी की गिरावट है। बीएसयू पीएसयू इंडेक्स की बात करें तो रिकॉर्ड हाई से यह 17.5 फीसदी गिर चुका है जबकि इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 रिकॉर्ड हाई से 10-10 फीसदी से अधिक टूट चुके हैं। महानगर टेलीफोन निगम के शेयर एक साल के हाई से 57 फीसदी से अधिक, कोचीन शिपयार्ड 56 फीसदी और चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन 55 फीसदी फिसल चुका है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और इंडसइंड बैंक हाउसिंग के शेयर 50-50 फीसदी जबकि एमएसटीसी और मोतीवाल ओसवाल के शेयर 49-49 फीसदी फिसल चुके हैं।

गिरावट पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

पाइनट्री मैक्रो के फाउंडर रितेश जैन के मुताबिक इन शेयरों के वैल्यूशन के चलते गिरावट हो रही है। इसके अलावा इकॉनमी की सुस्ती भी दबाव बना रही है जो जीएसटी कलेक्शन और सरकारी खर्चों में सुस्ती से दिख रही है। इसी तरह मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च एनालिस्ट प्रशांत तापसे का मानना है कि सितंबर तिमाही के कमजोर नतीजे से भी इन्हें झटका लगा जिसके चलते हाई लेवल पर मुनाफावसूली हुई। अधिकतर पीएसयू कंपनियों के लिए सितंबर तिमाही कमजोर रही। करीब 50 कंपनियों ने अंडरपरफॉर्म किया जबकि 14 को घाटा हुआ और 29 के मुनाफे में सालाना आधार पर गिरावट आई। करीब 20 कंपनियों के मुनाफे में मामूली या 10 फीसदी से कम तेजी दिखी।

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