Q2 Results:ग्लोबल चुनौतियों के बीच मिलेजुले रहे दूसरी तिमाही के नतीजे, घरेलू इकोनॉमी से जुड़ी कंपनियों ने किया शानदार प्रदर्शन
टेलीकॉम सेक्टर का प्रदर्शन एनालिस्ट के उम्मीद के मुताबिक रहा है। इस अवधि में टेलीकॉम कंपनियों का EBITDA में स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेस में सुधार के कारण अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है
दूसरी तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर भी कच्चे माल की ऊंची कीमतों और उच्च-ऑपरेटिंग लगात का असर देखने को मिला
Q2 earnings review: 7 नवंबर 2022 तक निफ्टी 50 में शामिल करीब 85 फीसदी से ज्यादा कंपनियों और बीएसई 500 में शामिल करीब 60 फीसदी कंपनियों ने 30 सितंबर 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष 2023 के दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं। तिमाही के नतीजों के लिहाज से दूसरी तिमाही का प्रदर्शन मिला जुला रहा है। इस अवधि में उन कंपनियों के प्रदर्शन में मजबूती देखने को मिली है जो घरेलू इकोनॉमी से जुड़ी हैं। जबकि उन कंपनियों के नतीजों में कमजोरी देखने को मिली है जिनका एक्सपोजर अमेरिका, यूरोप जैसे विकसित देशों में ज्यादा रहा है। इन कंपनियों पर खराब ग्लोबल माइक्रो स्थितियों का नेगेटिव असर देखने को मिला है।
इसके साथ ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर बैंकों के लिए शुभ साबित हुआ है। जिसके चलते बैंकों की कमाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है। दूसरी तरफ पेंटअप डिमांड और त्योहारी सीजन में आई जोरदार खरीदारी के दम पर ऑटो कंपनियों की भी चांदी रही है। दूसरी तिमाही में नतीजों के विश्लेषण से निकल कर आता है कि इस अवधि में अर्निंग ग्रोथ के नजरिए से लीडरशिप बैंक और ऑटो कंपनियों के हाथ में रही है। जबकि परंपरागत रूप से ग्रोथ के इंजन रहे आईटी सेक्टर का प्रदर्शन मिड सिंगल डिजिट ग्रोथ के साथ सुस्त रहा। चुनौतीपूर्ण ग्लोबल माहौल ने मेटल, ऑयल एंड गैस के लिए सेंटीमेंट खराब किया। इसी तरह कंज्यूमर ड्यूरेबल और सीमेंट सेक्टर भी कमजोर प्रदर्शन करते नजर आए।
सबसे अच्छा रहा BFSI सेक्टर का प्रदर्शन
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक 1 नवंबर तक निफ्टी 50 में शामिल 50 में से 32 कंपनियों ने अपने नतीजे जारी कर दिए थे। इस नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि सितंबर तिमाही में इनकी अर्निंग और प्रॉफिट में सालाना आधार पर 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। अलग-अलग सेक्टरों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो इस अवधि में बैंकिंग, फाइनेंशियल और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर रहा है। दूसरी तिमाही में इस सेक्टर के मुनाफे में सालाना आधार पर 20 से 50 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। इस अवधि में इस सेक्टर की ब्याज से होने वाली आय में भी अच्छी बढ़त देखने को मिली है। जबकि इकोनॉमी में क्रेडिट की डिमांड में सालाना आधार पर 5 गुना की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं असेट क्वालिटी स्थिर रही है।
ऑटोमोबाइल
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नजर डालें तो इस तिमाही में ऑटो कंपनियों के नतीजे भी अच्छे रहे हैं। सालाना आधार पर ऑटो सेक्टर की रेवेन्यू में 31 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस अवधि में ऑटो कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट के भाव में बढ़ोतरी की है। इसके अलावा कमोडिटी की प्राइस में भी कमी आई है। जिसके चलते सितंबर तिमाही में ऑटो सेक्टर की अर्निंग में सालाना आधार पर 37 फीसदी की बढ़ते देखने को मिली है।
सीमेंट सेक्टर
सीमेंट सेक्टर सितंबर तिमाही के सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों में रहा है। दूसरी तिमाही में सीमेंट सेक्टर की अर्निंग में सालाना आधार पर करीब 75 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इस अवधि में सीमेंट सेक्टर की कंपनियों पर कच्चे माल की ऊंची कीमतों का स्तर देखने को मिला है। सीमेंट सेक्टर की चार सबसे बड़ी कंपनियों UltraTech, Shree Cements, ACC और Ambuja Cement के पूरे प्रदर्शन को ध्यान में रखकर बात करें तो सालाना आधार पर इनके EBITDA में 46 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। जबकि इनकी ऑपरेटिंग मार्जिन 12 फीसदी घटकर 10.7 फीसदी पर आ गई है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स
दूसरी तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर भी कच्चे माल की ऊंची कीमतों और उच्च-ऑपरेटिंग लगात का असर देखने को मिला। दूसरी तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल सेगमेंट की अर्निंग में सालाना आधार पर 53 फीसदी और तिमाही आधार पर 25 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
FMCG
FMCG सेक्टर पर नजर डालें तो दूसरी तिमाही में इस सेक्टर की अर्निंग में मध्यम स्तर की बढ़ोतरी देखने को मिली है। दूसरी तिमाही में FMCG सेक्टर की अर्निंग ग्रोथ सालाना आधार पर 22 फीसदी और तिमाही आधार पर 8 फीसदी रही है। जबकि रेवेन्यू में सालाना आधार पर 16 फीसदी और तिमाही आधार पर सपाट ग्रोथ देखने को मिली है।
आईटी सर्विसेज
सितंबर तिमाही में आईटी सेक्टर के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर ही रहे हैं। सितंबर तिमाही में आईटी सेक्टर की अर्निंग में सालाना आधार पर 7 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जबकि रेवेन्यू में सालाना आधार पर 20 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जबकि तिमाही आधार पर आईटी सेक्टर की रेवेन्यू में 5 फीसदी और अर्निंग में 8 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। इस अवधि में टियर टू आईटी कंपनियों का प्रदर्शन टियर 1 कंपनियों की तुलना में बेहतर रहा है।
मेटल
राइट रिसर्च की सोनम श्रीवास्तव का कहना है कि सितंबर तिमाही मेटल सेक्टर के लिए अब तक की सबसे खराब तिमाही रही है। दूसरी तिमाही में इस सेक्टर को ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी के चलते मांग में आई गिरावट और ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी की कीमतों में कमजोरी की चुनौती का सामना करना पड़ा। इस अवधि में मेटल सेक्टर की अर्निंग में सालाना आधार पर 60 फीसदी और तिमाही आधार पर 54 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
ऑयल एंड गैस
सितंबर तिमाही में ऑयल एंड गैस सेक्टर के प्रदर्शन पर कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और मुनाफे पर सरकार द्वारा लगाए गए कैप का असर देखने को मिला। इसके बावजूद सालाना आधार पर इस सेक्टर की रेवेन्यू में 35 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली। जबकि ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन में भारी गिरावट के चलते अर्निंग में सालाना आधार पर 60 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर के सितंबर तिमाही के प्रदर्शन पर नजर डालें तो यह तिमाही फार्मा और हेल्थकेयर के लिए मिलीजुली रही है। घरेलू बाजार पर फोकस रखने वाली कंपनियों का प्रदर्शन उन कंनपियों से बेहतर रहा है जिनका एक्सपोजर अमेरिकी बाजार में ज्यादा रहा है। श्रीवास्तव का कहना है कि सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियों का घरेलू बाजार में ज्यादा एक्सपोजर है जिसके चलते इनका प्रदर्शन बेहतर रहा है। ये स्टॉक अपने हाई पर चल रहे हैं। जबकि अमेरिकी बाजारों में ज्यादा एक्सपोजर रखने वाले स्टॉक्स मुश्किल में नजर आ रहे हैं।
टेलीकॉम
टेलीकॉम सेक्टर का प्रदर्शन एनालिस्ट के उम्मीद के मुताबिक रहा है। इस अवधि में टेलीकॉम कंपनियों का EBITDA में स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेस में सुधार के कारण अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। जबकि डेटा टैरिफ में बढ़त के चलते टेलीकॉम कंपनियों की ARPU में बढ़त देखने को मिली है।
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