Rare earth magnet news : रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से निपटने के लिए IT मंत्रालय ने इसकी रीसाइकलिंग को PLI स्कीम के तहत इन्सेंटिव देने की सिफारिश की है। इस पर IT सेक्रेटरी एस कृष्णन ने सीएनबीसी-आवाज़ संवाददाता असीम मनचंदा से कहा कि देश में रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी रीसाइकलिंग से पूरी होगी। इस IT मंत्रालय ने अपनी सिफारिशें माइन्स मंत्रालय को भेज दी हैं। IT मंत्रालय की राय है कि रीसाइकलिंग को PLI स्कीम के तहत इंसेंटिव मिलनी चाहिए। सरकार का रीसाइकलिंग को बढावा देने की कोशिश पर जोर है।
उन्होंने आगे कहा कि CMet ने इसके लिए टेक्नोलॉजी भी तैयारी की है। इससे रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी आसानी से पूरी हो सकती है। भारत की रेयर अर्थ आयात पर भी निर्भरता कम होगी। रेयर अर्थ मैग्नेट की रीसाइकलिंग से भारत की रेयर अर्थ आयात पर भी निर्भरता कम होगी।
इस बीच खबर है कि आईटी मंत्रालय ने भारी उद्योग मंत्रालय से कहा है कि भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट का मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इसे पीएलआई में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि देश पहले से ही ई-कचरा पैदा करने के मामले में दुनिया के टप 3 देशों में शामिल हो चुका है।
यूनाइटेड नेशंस की एजेंसी, इंटरनैशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन और उसके सहयोगी संगठनों की ग्लोबल ई-कचरा मॉनिटर 2022 रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 2022 में लगभग 41.7 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न किया है। आने वाले सालों में भारी मात्रा में ई-कचरा पैदा होने की संभावना है, जिसमें इस्तेमाल किए जा चुके रेयर अर्थ मैग्नेट भी शामिल हैं।
इस बात को ध्यान में रखते हुए आईटी मंत्रालय ने सिफारिश की है कि MHI प्रस्तावित PLI का विस्तार जाए और इसमें इस्तेमाल किए जा चुके मैग्नेट की रिसाइक्लिंग को भी शामिल किया जाए।
गौरतलब है कि इस साल अप्रैल से चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट का भारत को होने वाला निर्यात सीमित कर दिया है। इसकी वजह से भारत के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के उत्पादन पर असर पड़ा है। रेयर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल वाहनों के कई कल पुर्जों को बनाने में किया जाता है। खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के ट्रैक्शन मोटरों में इसका इस्तेमाल होता है।