कोटक बैंक पर चला आरबीआई का चाबुक, बैंकिंग शेयरों में निवेशक क्या करें?

बैंक सेक्टर में तेजी से प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ग्रोथ भी बढ़ी है। इस ग्रोथ को मैच करने के लिए बैंकों ने अपने आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़त नहीं की है। इस समस्या से निपटने के लिए बैंकों को आईटी इंफ्रा पर अपना निवेश बढ़ना होगा

अपडेटेड May 01, 2024 पर 7:35 PM
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कोटक बैंक पर आरबीआई के एक्शन से साफ है कि अब वह और गलती बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। बैंकों को अपने सिस्टम में सुधार करना ही होगा।

पिछले कुछ दिनों से फाइनेंशियल मार्केट में आरबीआई की तरफ से लगातार रेग्युलेटरी एक्शन देखने को मिला है इसकी वजह से इस सेक्टर को स्टॉक्स की पिटाई हो रही है। सेक्टर्स को री-रेट करने या नए नजरिए से देखने को जरूरत पड़ रही है। ताजा उदाहरण कोटक बैंक है जहां उसको आरबीआई की तरफ से जोर का झटका लगा है। RBI ने कोटक बैंक पर नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी है। ऑनलाइन के जरिए नए ग्राहक बनाने पर भी रोक लगा दी गई है। उस पर डिजिटल बैंकिंग से नए ग्राहक जोड़ने पर रोक लगा दी गई है। RBI को कोटक के IT सिस्टम में कई गंभीर खामियां मिलीं हैं। 2022 और 2023 की टेक्नोलॉजी जांच के बाद ये एक्शन लिए गए हैं। हालांकि इन एक्शनों से मौजूदा ग्राहकों की सर्विस पर असर नहीं होगा।

बैंक शेयरों के लिए रेग्युलेटरी रिस्क का खतरा बहुत बड़ा

इस मुद्दे पर बात करते हुए Complete Circle के मैनेजिंग पार्टनर गुरमीत चड्ढा ने कहा कि बैंक सेक्टर में तेजी से प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ग्रोथ भी बढ़ी है। इस ग्रोथ को मैच करने के लिए बैंकों ने अपने आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़त नहीं की है। इस समस्या से निपटने के लिए बैंकों कोआईटी इंफ्रा पर अपना निवेश बढ़ना होगा। बैकों में आईटी पर ज्यादा ध्यान न होने के कारण फ्रॉड होने के काफी चांस रहते हैं। ऐसे में बैंकों में निवेश करते समय रेग्युलेटरी रिस्क हमारे मन में हावी रहता है। बैंक शेयरों के लिए रेग्युलेटरी रिस्क का खतरा बहुत बढ़ गया है।


OTP टू फैक्टर ऑथराइजेशन के लिए दुनिया का सबसे बेकार सिस्टम

Piper Serica के फाउंडर अभय अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों से मुताबिक पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में देश में डिजिटल बैंकिंग में 2700 करोड़ रुपए के फ्रॉड हुए हैं। इसका मतलब ये है कि बैंक फ्रॉड को प्रोटेक्ट नहीं कर रहे हैं। ओटीपी टू फैक्टर ऑथराइजेशन के लिए दुनिया का सबसे बेकार सिस्टम है। बैंक फ्रॉड से कस्टमर को प्रोटेक्ट कर सकते हैं लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया है। कोटक बैंक जैसा आरबीआई का एक्शन दूसरे बैंकों पर भी देखने को मिल सकता है। ऐसे में अगर ये बैंक फ्रॉड प्रोटेक्शन पर निवेश नहीं करते तो निवेशकों के इन शेयरों से निकल जाना चाहिए क्योंकि रेग्युलेटरी रिस्क बहुत बड़ा रिस्क है।

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Citrus Advisors के फाउंडर संजय सिन्हा ने कहा आरबीआई ने बैंकिंग सेक्टर के सुधार की अपनी मुहिम के तहत सबसे पहले बैंकों से एसेट और लाइबिलिटी बुक को साफ करने का बीड़ा उठाया। इसका फायदा भी हुए बैंकों के एनपीए साफ हो गए और उनकी बुक क्लीन और मजबूत हो गई। लेकिन उसके बाद बैंकिंग सेक्टर का लालच कासा रेशियो को बढ़ाने पर शिफ्ट हो गया। इस चक्कर में बहुत सारी गलतियां हो रही थी। अब इसको सुधारने के लिए आरबीआई ने करेक्टिव एक्शन लिए हैं। कोटक बैंक पर आरबीआई के एक्शन से साफ है कि अब वह और गलती बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। बैंकों को अपने सिस्टम में सुधार करना ही होगा। देश के तीसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक कोटक बैंक पर आरबीआई के एक्शन का असर दूर तलक जाएगा। इस एक्शन से आरबीआई ने संदेश दिया है कि चाहे बड़ा बैंक हो या छोटा सबसे साथ एक जैसा बरताव किया जाएगा। सबको अपनी गलती सुधारनी होगी। कोटक बैंक पर एक्शन के बाद दूसरे बैंक भी रेग्युलेटरी एक्शन से बचने के लिए अपने सिस्टम में सुधार करेंगे।

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