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RBI की मॉनेटरी पॉलिसी ने जगाई उम्मीद, Sensex और Nifty में जारी रह सकती है तेजी

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की कमेंट्री से ऐसा लगता है कि तीसरी तिमाही में स्थितियां बेहतर रहेंगी। तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ भी ज्यादा रहने की उम्मीद है। अगर दिसंबर तिमाही में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ बढ़ती है तो इसका सीधा असर स्टॉक मार्केट्स पर पड़ेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 06, 2024 पर 11:43 AM
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी ने जगाई उम्मीद, Sensex और Nifty में जारी रह सकती है तेजी
सीआरआर में कमी का मतलब है कि आरबीआई को ग्रोथ की चिंता है। सीआरआर में कमी से बैंकों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा, जिसका इस्तेमाल वे नए लोन देने के लिए कर सकेंगे।

आरबीआई ने 6 दिसंबर की अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। उसने रेपो रेट को 6.5 फीसदी बनाए रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की है। इससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी। आरबीआई गवर्नर की कमेंट्री से ऐसा लगता है कि तीसरी तिमाही में स्थितियां बेहतर रहने की उम्मीद है। तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ भी बेहतर रहने की उम्मीद है। मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कमी नहीं होने से स्टॉक मार्केट में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स लाल निशान में चला गया। लेकिन, कुछ ही देर बाद मार्केट में रिकवरी देखने को मिली।

आरबीआई को ग्रोथ की चिंता

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीआरआर (CRR) में कमी का मतलब है कि आरबीआई (RBI) को ग्रोथ की चिंता है। सीआरआर में कमी से बैंकों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा, जिसका इस्तेमाल वे नए लोन देने के लिए कर सकेंगे। इससे एक तरफ कंपनियों के लिए बिजनेस के विस्तार के लिए पर्याप्त पैसा उपलब्ध होगा तो दूसरी तरफ क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने से बैंकों की कमाई बढ़ेगी। यही वजह है कि सीआरआर में कमी के फैसले से बैंकों के स्टॉक्स में तेजी देखने को मिली। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीआरआर में कमी से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएंगे।

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