भारत में विदेशी निवेशकों की ओर से भी काफी इंवेस्टमेंट किया जाता है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से अब एक अहम ऐलान किया गया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों, राज्य विकास ऋण और कॉरपोरेट बॉन्ड में एफपीआई निवेश की सीमा चालू वित्त वर्ष के लिए प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक पर अपरिवर्तित रहेगी।
RBI कहा कि सरकारी सिक्योरिटी, राज्य विकास कर्ज और कॉरपोरेट बॉन्ड में FPI इंवेस्टमेंट की सीमा चालू वित्त वर्ष के लिए प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक पर क्रमशः छह प्रतिशत, दो प्रतिशत और 15 प्रतिशत पर बनी रहेगी। आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा कि फिलहाल पात्र निवेशकों के जरिए 'निर्दिष्ट प्रतिभूतियों' में किए गए सभी निवेशों को पूरी तरह से सुलभ मार्ग (FAR) के तहत माना जाएगा।
रिजर्व बैंक ने कहा, "सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक), राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (एसजीएस) और कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के निवेश की सीमा 2024-25 के लिए प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक का क्रमशः छह प्रतिशत, दो प्रतिशत और 15 प्रतिशत पर बनी रहेगी।"
दो उप-श्रेणियों- 'सामान्य' और 'दीर्घकालिक' के लिए सरकारी सिक्योरिटीज में FPI इंवेस्टमेंट का आवंटन 50:50 पर बरकरार रखा जाएगा। FPI के जरिए बेचे जाने वाले 'कर्ज चूक अदलाबदली' (CDS) की अनुमानित राशि की कुल सीमा कॉरपोरेट बॉन्ड के बकाया स्टॉक का पांच प्रतिशत होगी। इस हिसाब से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 2,54,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि तय की गई है।
दरअसल, मार्च 2020 में आरबीआई ने केंद्र सरकार के बॉन्ड में विदेशी निवेश के लिए एक नई श्रेणी - Fully Accessible Category (FAR) पेश की। इस श्रेणी में आने वाले सॉवरेन बॉन्ड बिना किसी प्रतिबंध के निवेश के लिए पूरी तरह से खुले हैं। इस बीच, अस्पष्टता के संभावित स्रोत में केंद्र सरकार के बॉन्ड में विदेशी निवेश के लिए आरबीआई की मौजूदा सीमा प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक का 6% है।